देश में 'काला जादू' के खिलाफ किन-किन राज्यों ने बना रखे हैं विशेष कानून?
क्या है खबर?
केरल में डॉक्टर दंपति द्वारा 'मानव बलि' के नाम पर दो महिलाओं की हत्या कर उनका मांस खाने के मामले ने देश को झकझोर दिया है।
इसके बाद गुजरात में 'काला जादू' के नाम पर पिता के अपनी 14 वर्षीय बेटी की हत्या करने के मामले ने काला जादू पर बहस छेड़ दी है। इसके खिलाफ विशेष कानून की मांग की जा रही है।
ऐसे में आइए जानते हैं किन राज्यों में 'काला जादू' के खिलाफ विशेष कानून है।
घटना
सबसे पहले जानते हैं केरल की घटना
11 अक्टूबर को केरल के थिरुवल्ला में डॉक्टर दंपति द्वारा सुख-संपत्ति की चाह में 'मानव बलि' के नाम पर दो महिलाओं की हत्या करने का मामला सामने आया था।
इसमें पुलिस ने आरोपी मसाज थेरेपिस्ट डॉ भगवंत सिंह और उसकी पत्नी लैला तथा महिलाओं को लाने वाले एजेंट मोहम्मद शाफी को गिरफ्तार किया है।
जांच में यह भी सामने आया कि दंपति ने महिलाओं की हत्या के बाद शवों के कई टुकड़े किए और कुछ को पकाकर भी खाया था।
जानकारी
मुख्यमंत्री पिनरई विजय ने दिया विशेष कानून की आवश्यकता पर जोर
इस मामले मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने अंधविश्वास से जुड़ी प्रथाओं रोकने के लिए नया कानून बनाने की आवश्यकता बताई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानूनों को कड़ाई से लागू करने के अलावा अगर जरूरी हो तो नया कानून लाने पर विचार किया जाना चाहिए।
हत्या
गुजरात में 'काला जादू' के नाम पर बेटी की हत्या
केरल के बाद गुजरात के सोमनाथ जिले के धावा गांव में पिता के 'काला जादू' के नाम पर 14 वर्षीय बेटी धैर्या की हत्या करने का मामला सामने आया गया।
पुलिस ने मामले में आरोपी पिता भावेश अकबरी और चाचा दिलीप अकबरी को हिरासत में लिया है।
दोनों को धैर्या पर भूत का साया होने का शक था और उसके भगाने के लिए किए धार्मिक अनुष्ठान में उसे इतनी प्रताड़ना दी कि आखिरकार उसने दम ही तोड़ दिया।
सवाल
क्या होता है 'काला जादू'?
'काला जादू' कोई वैज्ञानिक अवधारणा नहीं है, लेकिन इसके बाव भी पूरी दुनिया में इसके मामले सामने आते हैं।
इसमें लोग दूसरे व्यक्ति के साथ तंत्र साधना के जरिए अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने का प्रयास करते हैं। किसी को डायन, चुड़ैल, टोनही बताकर उसकी हत्या या फिर इच्छा पूर्ति के लिए इंसानों की बली (हत्या) करना शामिल है।
चौंकाने वाली बात यह है कि इसे धार्मिक रूप देने के कारण इसके खिलाफ कोई केंद्रीय कानून नहीं है।
उल्लंघन
'काला जादू' के नाम पर किया अपराध है मूल अधिकार का उल्लंघन
'काला जादू' के नाम पर किसी के खिलाफ किया अपराध उसके मूल अधिकार का उल्लंघन है। यह सीधे संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 21 का उल्लंघन है।
इसके अलावा अंतररराष्ट्री मानवाधिकार कानून, 1948, सिविल एंव राजनैतिक अधिकारों की अंतररराष्ट्री प्रसंविदा कानून, 1966 सहित दूसरे कानूनों का भी उल्लंघन है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, विच हंट के तहत हुई हत्या को अपराध की कैटेगरी में शामिल किया जाता है। हालांकि, हत्या न होने पर यह अपराध नहीं है।
कानून
सबसे पहले बिहार और फिर झारखंड में बना विशेष कानून
भारत में अंधविश्वास के खिलाफ सबसे पहले 1999 में बिहार में कानून लाया गया था। सरकार ने डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 1999 लागू किया था।
इसके तहत किसी औरत को डायन बताकर प्रताड़ित करने या शारीरिक या मानसिक यातना देने वालों के एक वर्ष की जेल और 2,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था।
इसके बाद 18 मार्च, 2021 झारखंड में भी इस अधिनियम को लागू कर समान सजा का प्रावधान किया गया था।
छत्तीसगढ़-ओडिशा
छत्तीसगढ़ में लागू है टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम
छत्तीसगढ़ में साल 2005 में टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम लागू किया गया था। टोनही का अर्थ ऐसे व्यक्ति है, जो काला जादू और अपनी बुरी नजर आदि से किसी को नुकसान पहुंचा सकता है।
इस कानून में झाड़-फूंक, टोटका और तंत्र-मंत्र आदि पर प्रतिबंध है। दोषियों को पांच साल कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
इसके बाद 2013 में ओडिशा में डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम लागू किया गया था। वहां इसमें तीन साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
जानकारी
राजस्थान और असम में भी लागू है डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम
राजस्थान में साल 2015 में डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम लागू किया गया था। यहां इसमें एक वर्ष की जेल और 2,000 रुपये जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। उसी साल असम में भी इस तरह की घटनाएं बढ़ने के बाद इसे लागू किया गया था।
महाराष्ट्र
'काला जादू' के खिलाफ महाराष्ट्र में बना था सबसे पहले कानून
देश में 'काला जादू' के खिलाफ सबसे पहले विशेष कानून महाराष्ट्र में लागू हुआ था। 26 अगस्त, 2013 को राज्य सरकार ने अंधविश्वास विरोधी और काला जादू अधिनियम, 2013 लागू किया था।
इसमें छह महीने से सात साल तक की जेल और 5,000 से 50,000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
इसमें पुलिस को स्थानीय समाचार पत्रों में अपराधस्थल के साथ अपराधी का नाम और निवास भी प्रकाशित कराने के लिए पाबंद किया गया था।
कर्नाटक
कर्नाटक में लागू है अंधविश्वास विरोधी कानून
'काला जादू' के मामले बढ़ने के बाद कर्नाटक सरकार ने साल 2020 में कर्नाटक अमानवीय बुराई प्रथाओं और काला जादू रोकथाम अधिनियम लागू किया गया था।
इसमें जादू टोना, काला जादू और अंधविश्वास के नाम पर अन्य लोगों को नुकसान पहुंचाने वाले 16 कार्यों को प्रतिबंध किया था।
इसी तरह दोषियों को एक साल से सात साल तक जेल और 5,000 से 50,000 रुपये तक जुर्माने अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान किया गया था।
जानकारी
केरल में पारित नहीं हो सका इससे जुड़ा विधेयक
केरल में 2014 में तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) ए हेमचंद्रन ने केरल अंधविश्वास द्वारा शोषण रोकथाम अधिनियम तैयार किया था, लेकिन आज तक भी पारित नहीं हो सका है। इसके चलते राज्य में 'काला जादू' से संबंधित घटनाएं बढ़ रही है।
घटना
'काला जादू' से जुड़ी अन्य घटनाएं
3 अक्टूबर को दिल्ली के लोधी नगर में दो युवकों ने 'नर बलि' के नाम पर एक छह वर्षीय बालक की हत्या कर दी थी। अगस्त 2022 में नागपुर में परिजनों ने बुरी आत्मा से छुटकारा दिलाने के नाम पर पांच वर्षीय बेटी की हत्या कर दी।
2021 में आंध्र प्रदेश के चित्तूर में एक दंपत्ति ने अपनी दो बेटियों को सभी बुराइयों से मुक्त करने के नाम पर सिर पर डंबल से वार कर उनकी हत्या कर दी थी।