सैन्य अभ्यास के जरिए आक्रमण की तैयारी कर रहा चीन- ताइवान
ताइवान ने कहा है कि चीन सैन्य अभ्यास के जरिए उस पर आक्रमण की तैयारी कर रहा है। देश के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए ये दावा किया। उन्होंने चीन के इस खेल को ताइवान के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया और कहा कि चीन ताइवान के आसपास के समुद्री इलाके और विस्तृत एशिया-प्रशांत इलाके पर अपना नियंत्रण चाहता है। उन्होंने चीन के खिलाफ खड़े होने के लिए अपने सहयोगी पश्चिमी देशों का शुक्रिया अदा किया।
विदेश मंत्री ने क्या-क्या कहा?
आज सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए जोसेफ वू ने कहा, "चीन ने अभ्यास और अपनी सैन्य प्लेबुक का इस्तेमाल ताइवान पर आक्रमण की तैयारी करने के लिए किया है।" उन्होंने कहा, "ताइवान की जनता का मनोबल तोड़ने के लिए वह (चीन) बड़े स्तर पर सैन्य अभ्यास और मिसाइल लॉन्च करने के साथ-साथ साइबर-अटैक, दुष्प्रचार अभियान और आर्थिक पाबंदियां लगा रहा है।" उन्होंने कहा, "चीन का असल मकसद ताइवान जलडमरूमध्य और पूरे इलाके में यथास्थिति को बदलना है।"
लोकतंत्र अधिनायकवाद के आगे झुकेगा नहीं- वू
वू ने चीन के खिलाफ खड़े होने के लिए अमेरिका जैसे अपने पश्चिमी सहयोगियों का शुक्रिया अदा भी किया है। उन्होंने कहा, "ये दुनिया को एक स्पष्ट संदेश भेजता है कि लोकतंत्र अधिनायकवाद की धमकियों के आगे झुकेगा नहीं।"
नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से भड़का हुआ है चीन
बता दें कि ताइवान को अपने हिस्सा मानने वाला चीन अमेरिकी संसद के उच्च सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से भड़का हुआ है। पेलोसी चीन की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए पिछले हफ्ते ताइवान पहुंची थी। उनकी यात्रा समाप्त होने के बाद गुरूवार से ही चीन ताइवान के चारों तरफ युद्धाभ्यास कर रहा है। इस अभ्यास के पहले दिन चीन ने महज दो घंटे के अंदर 11 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थीं।
चीन के हमले का जवाब देने के लिए ताइवान ने भी शुरू किया सैन्य अभ्यास
चीन का सैन्य अभ्यास पहले रविवार को खत्म होना था, लेकिन ये अभी तक जारी है और इससे ताइवान की चिंता बढ़ गई है। बदले में ताइवान ने भी अपना सैन्य अभ्यास शुरू किया है जिसमें चीन के आक्रमण का जवाब देने की तैयारी की जा रही है। इस तनाव के बीच अमेरिका ने कहा है कि वह उम्मीद नहीं करता कि चीन तनाव को और बढ़ाएगा और सैन्य अभ्यास से आगे कुछ करेगा।
ताइवान को लेकर क्या है विवाद?
ताइवान चीन के दक्षिण-पूर्वी तट से लगभग करीब 160 किलोमीटर दूर स्थित एक द्वीप है। चीन उसे अपना हिस्सा मानता है, वहीं ताइवान खुद को स्वतंत्र देश के तौर पर देखता है। उसका अपना संविधान और लोकतांत्रिक सरकार है। 1949 में चीनी गृह युद्ध में कम्युनिस्ट पार्टी की जीत के बाद तत्कालीन चीनी सरकार भागकर ताइवान आई थी और तभी से वो अलग हैं। मौजूदा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बयान दे चुके हैं कि ताइवान का 'एकीकरण' पूरा होकर रहेगा।