#NewsBytesExplainer: भारी बारिश और नाजुक पारिस्थितिकी, वायनाड में अचानक भूस्खलन की क्या है वजह?
केरल के वायनाड में 29-30 जुलाई की रात हुए भूस्खलन में अब तक 150 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। करीब 100 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश में सेना और बचाव दलों के सैकड़ों कर्मी जुटे हुए हैं। बताया जा रहा है कि कुछ घंटों के भीतर ही 3 भूस्खलन ने पूरे इलाके को बर्बाद कर दिया है। आइए जानते हैं कि वायनाड में अचानक से भूस्खलन कैसे हो गया।
24 घंटे में 140 मिलीमीटर से अधिक बारिश
केरल में बीते कई दिनों से तेज बारिश हो रही है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, 29 और 30 जुलाई के बीच वायनाड जिले में 24 घंटे के भीतर 140 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई थी। ये सामान्य अपेक्षित बारिश से लगभग 5 गुना ज्यादा है। इसी दौरान कुछ इलाकों में तो 300 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई। IMD ने आज फिर 7 जिलों में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है।
केरल की कमजोर पारिस्थितिकी भी वजह
केरल विश्वविद्यालय में भूविज्ञान के सहायक प्रोफेसर केएस सजिनकुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "यहां के भूभाग में 2 विशिष्ट परतें हैं- एक कठोर चट्टानों के ऊपर मिट्टी की परत। जब बहुत अधिक बारिश होती है तो पानी चट्टानों तक पहुंच जाता है और मिट्टी और चट्टान की परतों के बीच बहने लगता है। इससे मिट्टी को चट्टानों से बांधने वाला बल कमजोर हो जाता है और हलचल शुरू हो जाती है।"
2 हफ्ते की बारिश से भारी हो गई थी मिट्टी- वैज्ञानिक
कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (CUSAT) में उन्नत वायुमंडलीय रडार अनुसंधान आधुनिक केंद्र के निदेशक एस अभिलाष ने कहा, "2 सप्ताह की बारिश के बाद मिट्टी भारी हो गई। 29 जुलाई को अरब सागर में तट के पास एक गहरा 'मेसोस्केल क्लाउड सिस्टम' बना था। इसमें तेज गरज के साथ तूफान आते हैं। इसी कारण अत्यधिक भारी बारिश हुई और फिर भूस्खलन हुआ। बादल बहुत घने थे, वैसे ही जैसे 2019 में केरल में आई बाढ़ के दौरान थे।"
वैज्ञानिकों ने कहा- केरल का वायुमंडल अस्थिर हो गया
एस अभिलाष ने कहा, "हमारे शोध में पता चला कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर में तापमान बढ़ रहा है, जिससे केरल समेत इस क्षेत्र के ऊपर का वायुमंडल ऊष्मगतिकीय (थर्मोडायनेमिकली) रूप से अस्थिर हो गया है। वैज्ञानिकों ने दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर बहुत गहरे बादल बनने की प्रवृत्ति देखी है। कभी-कभी ये सिस्टम तट की ओर आ जाते हैं। पहले इस तरह की वर्षा मैंगलोर के पास उत्तरी कोंकण बेल्ट में अधिक आम थी।"
कैसे कम की जा सकती हैं भूस्खलन से जुड़ी घटनाएं?
तिरुवनंतपुरम स्थित नेशनल सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज के पूर्व वैज्ञानिक जी शंकर ने कहा, "हमें इन क्षेत्रों में भूमि उपयोग पर सख्त प्रतिबंध लगाने होंगे। खेती या अन्य गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जा सकती। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इन गतिविधियों के कारण भूस्खलन हुआ है, क्योंकि हमें अभी भी आकलन करना है, लेकिन सामान्य तौर पर स्थानीय पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए आवश्यक नियम लागू नहीं किए गए हैं।"
केरल में भूस्खलन के सबसे ज्यादा मामले
भू विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, 2015 और 2022 के बीच देश में 3,782 भूस्खलन की घटनाएं हुई थीं। इनमें से सबसे ज्यादा 2,239 केरल में हुई थीं। 2018 में केरल में आई बाढ़ में 483 लोगों की मौत हो गई थी। इस आपदा को 'सदी की बाढ़' घोषित किया गया था। अक्टूबर, 2021 में भी बाढ़ और भूस्खलन से 53 लोगों की मौत हो गई थी। 2022 में भी इसी तरह के हादसे में 18 लोग मारे गए थे।
अभी कितनी हुई तबाही?
फिलहाल वायनाड के मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। ये 4 गांव करीब-करीब पूरी तरह तबाह हो गए हैं। 2 जगहों पर पुल बहने की वजह से बचाव कार्य में परेशानी आ रही है। सेना और बचाव दलों के करीब 800 जवान लोगों को निकालने और शवों की तलाश में जुटे हैं। अभी भी करीब 100 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है।