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    #NewsBytesExplainer: क्या है योगी सरकार का नजूल विधेयक और भाजपा ही क्यों कर रही है विरोध? 
    उत्तर प्रदेश में नजूल विधेयक को लेकर भाजपा में ही असहमति देखने को मिल रही है

    #NewsBytesExplainer: क्या है योगी सरकार का नजूल विधेयक और भाजपा ही क्यों कर रही है विरोध? 

    लेखन आबिद खान
    Aug 03, 2024
    08:00 pm

    क्या है खबर?

    उत्तर प्रदेश में एक विधेयक को लेकर भाजपा नेता अपनी ही पार्टी के खिलाफ हो गए हैं।

    दरअसल, 31 जुलाई को विधानसभा में उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक, 2024 पारित किया गया था।

    अगले दिन इसे विधान परिषद में पेश किया गया, लेकिन यहां ये अटक गया। भाजपा के विधायकों ने ही विधेयक का विरोध किया, जिसके बाद इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया है।

    आइए जानते हैं विधेयक को लेकर क्या विवाद है।

    विधेयक

    सबसे पहले जानिए क्या है विधेयक?

    इस विधेयक का उद्देश्य नजूल भूमि की रक्षा करना बताया गया है।

    दरअसल, नजूल का मतलब ऐसी भूमि या भवन से है, जो सरकारी दस्तावेज के आधार पर सरकार की संपत्ति है, लेकिन इनका कब्जा सरकार के पास नहीं है।

    विधेयक में कहा गया है कि ऐसी जमीन का इस्तेमाल सार्वजनिक उद्देश्य के लिए किया जाएगा।

    विधानसभा में इस विधेयक का समाजवादी पार्टी (SP) और दूसरी पार्टियों के साथ खुद भाजपा विधायकों ने भी विरोध किया।

    नजूल भूमि

    क्या होती है नजूल भूमि?

    नजूल भूमि वह होती है, जिन्हें ब्रिटिश राज में आंदोलन करने वालों या राजा-महाराजाओं से अंग्रेजों ने जब्त कर लिया था। आजादी के बाद इन जमीनों का स्वामित्व सरकार के पास आ गया।

    अब इन जमीनों को सरकार लीज पर देती हैं, जिसकी अवधि कम से कम 15 साल और ज्यादा से ज्यादा 99 साल होती है।

    भारत के लगभग हर शहर में नजूल भूमि को विभिन्न उद्देश्यों के लिए विभिन्न संस्थाओं को आवंटित किया गया है।

    प्रावधान

    विधेयक में क्या प्रावधान हैं? 

    विधेयक के मुताबिक, जिसके पास लीज पर नजूल की जमीन है, समय पूरा होने पर सरकार जमीन वापस लेगी। जिसने समय पर फीस नहीं भरी, उनकी लीज खत्म होगी। सिर्फ लीज एग्रीमेंट का पालन करने वाले का नवीनीकरण किया जाएगा।

    नजूल की जमीन का पूरा मालिकाना हक किसी व्यक्ति या संस्था को नहीं दिया जाएगा। नजूल की जमीन का इस्तेमाल सिर्फ सार्वजनिक उपयोग (अस्पतालों, स्कूलों) के लिए लिए ही किया जाएगा।

    विरोध

    विधेयक का क्यों हो रहा है विरोध?

    भाजपा विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि जो लोग पीढ़ी दर पीढ़ी प्रमाणिक हैं, उनका नवीनीकरण किया जाए और अनाधिकृत रहने वालों के लिए पहले पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।

    भाजपा विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी ने कहा कि एक तरफ हम प्रधानमंत्री आवास दे रहे हैं, दूसरी तरफ गरीबों को उजाड़ने जा रहे हैं, जो न्याय संगत नहीं है।

    कुछ भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष अपनी चिंताएं व्यक्त की थीं।

    टाइमलाइन

    विधेयक को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ?

    इस विधेयक को पहले अध्यादेश के रूप में भी लाया जा चुका है।

    7 मार्च, 2024 को सरकार ने उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए प्रबंधन और उपयोग) अध्यादेश, 2024 को अधिसूचित किया था।

    बता दें कि अध्यादेश को सत्र चालू होने पर विधानसभा से पारित कराना होता है। इसके बाद सरकार विधेयक लेकर आई, जो विधानसभा में तो पारित हो गया, लेकिन विधान परिषद में अटक गया है।

    राजनीतिक मायने

    विधेयक के लंबित होने के ये हैं राजनीतिक मायने?

    विधेयक के लंबित होने को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच चल रही कथित तनातनी से जोड़कर देखा जा रहा है।

    दरअसल, विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और उपमुख्यमंत्री मौर्य और ब्रजेश पाठक की बैठक हुई। इसमें तय हुआ कि चौधरी विधान परिषद में विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखेंगे।

    विधान परिषद में ठीक ऐसा ही हुआ और विधेयक प्रवर समिति को भेज दिया गया।

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