यूक्रेन को दी जाने वाली मदद बढ़ाएगा NATO, पूर्वी सदस्य देशों में सैन्य तैनाती भी बढ़ेगी
यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच NATO (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) सहयोगियों ने अपनी पूर्वी सीमा पर सैन्य तैनाती में इजाफा करने का फैसला किया है। साथ ही उन्होंने रूस का मुकाबला कर रहे यूक्रेन को दी जाने वाली मदद बढ़ाने का ऐलान किया है। ब्रसेल्स में अहम बैठक के बाद NATO के महासचिव जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने कहा कि एक नई सुरक्षा हकीकत का सामना करने के लिए सभी नेताओं ने प्रतिरोध और रक्षा को बढ़ाने पर सहमति जताई है।
सबसे पहले NATO के बारे में जानिये
NATO अमेरिका और उसके सहयोगियों का एक सैन्य गठबंधन है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल, 1949 को एक संधि के जरिए इसका गठन किया गया था। अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) समेत कुल 12 देशों ने इसकी स्थापना की थी। अभी इसके सदस्यों की संख्या 30 है। NATO का सबसे प्रमुख प्रावधान ये है कि अगर कोई इनमें से किसी एक देश पर हमला करता है तो इसे सभी देशों पर हमला माना जाएगा।
"यह युद्ध इस पीढ़ी की सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा"
स्टोल्टनबर्ग ने कहा, "रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तरफ से शुरू किया गया यह युद्ध इस पीढ़ी की सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा है और सहयोगियों को निर्णायक तौर पर इसका जवाब देना होगा। हमें यूक्रेन की हरसंभव मदद करनी चाहिए।"
पूर्वी सीमा की सुरक्षा बढ़ाएगा गठबंधन
NATO के सभी सदस्य देशों ने बुल्गारिया, हंगरी, रोमानिया और स्लोवाकिया में चार अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियों की तैनाती का फैसला किया है। ये उन सैनिकों से अलग होंगे, जो पहले से ही पोलैंड और अन्य बाल्टिक देशों में तैनात हैं। इसके अलावा गठबंधन की पूर्वी सीमा पर लड़ाई विमानों और लड़ाई का जवाब देने वाले दस्तों की तैनाती की जाएगी। साथ ही स्थायी तौर पर पनडुब्बी और युद्धक जहाजों को तैनात करने का निर्णय लिया गया है।
यूक्रेन की मदद रहेगी जारी
NATO ने कहा कि वह रूस के खिलाफ लड़ाई में मदद के लिए यूक्रेन को एंटी-टैंक एयर डिफेंस सिस्टम और ड्रोन्स मुहैया कराएगा, जो अभी तक बेहद कारगर साबित हो रहे हैं। इसके अलावा यूक्रेन की साइबर सिक्योरिटी, वित्तीय और मानवीय मदद भी जारी रहेगी। इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने NATO सदस्यों को संबोधित करते हुए मांग की थी उन्हें रूस का मुकाबला करने के लिए असीमित मदद मुहैया कराई जाए।
चीन से रूस की मदद न करने की अपील
NATO के सदस्यों देशों के प्रमुखों और सरकारों ने चीन को रूस की आर्थिक और सैन्य मदद करने से बचने की अपील करते हुए कहा कि उसे भी दुनिया के बाकी देशों की तरह रूसी आक्रमण की निंदा करनी चाहिए।
रासायनिक हमले को लेकर क्या बोले NATO महासचिव?
NATO में अपने संबोधन के दौरान जेलेंस्की ने रूस पर यूक्रेन में फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए स्टोल्टनबर्ग ने युद्ध में रासायनिक, जैविक और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आशंका जताते हुए कहा कि यह संघर्ष का चरित्र ही बदल देगा और इसके यूक्रेन की सीमाओं से परे भी परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा यह NATO सदस्यों को भी प्रभावित करेगा और इसलिए युद्ध को तुरंत रोकने की जरूरत है।