ट्रम्प ने पहले दिया ईरान पर हमले का आदेश, फिर वापस लिया फैसला- रिपोर्ट्स
ईरान के 'स्ट्रेट आफ होर्मुज' में अमेरिका के निगरानी ड्रोन के मार गिराने के जवाब में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर हमले का आदेश दे दिया था। लेकिन हमले के कुछ घंटे पहले उन्होंने अचानक अपने फैसले को पलटते हुए ऑपरेशन को निरस्त कर दिया। ट्रम्प ने अपने फैसला क्यों पलटा, इसका कारण अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करते तो अमेरिका और ईरान का सैन्य टकराव शुरू हो जाता।
ईरान के अमेरिका ड्रोन गिराने के बाद बढ़ा टकराव
गुरुवार को ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने अपने दक्षिणी तट के पास 'स्ट्रेट आफ होर्मुज' में अमेरिकी नौसेना के RQ-4 निगरानी ड्रोन को मार गिराया था। इस ड्रोन की कीमत 13 करोड़ अमेरिका डॉलर बताई जा रही है। दोनों पक्षों ने इस पर विरोधाभासी पक्ष रखे। ईरान ने कहा कि ड्रोन उसकी सीमा में जासूसी कर रहा था। वहीं, अमेरिकी सेना ने इसे दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण कॉमर्शियल जलमार्ग में अकारण किया गया हमला बताया था।
शुक्रवार सूर्योदय से पहले होना था हमला
राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसे उसकी "बेहद गंभीर गलती" करार दिया था। अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' के अनुसार, ट्रम्प ने इसके बाद ईरान पर सैन्य हमले की इजाजत दे दी। वरिष्ठ अधिकारियों ने अखबार को बताया कि ट्रंप ने रडार तथा मिसाइल बैटरियों जैसे कुछ ठिकानों पर सैन्य हमले की मंजूरी दी थी। हमला शुक्रवार को सूर्योदय से ठीक पहले होना था, ताकि ईरानी सेना तथा नागरिकों को कम से कम खतरा हो।
हवा में तैनात विमान थे हमले को तैयार
लेकिन हमले के कुछ ही घंटों पहले ट्रम्प ने अपना मन बदलते हुए ऑपरेशन को निरस्त कर दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिस समय ऑपरेशन रद्द करने का फैसला उनके पास पहुंचा, विमान और पोत हमले के लिए बिल्कुल तैयार थे। उन्होंने कहा, "विमान हवा में थे और पोत अपनी पोज़ीशन पर मौजूद थे, लेकिन कोई मिसाइल नहीं दागी गई।" हमला निरस्त करने के कारणों को अभी पता नहीं है।
मध्य पूर्व में दो हमलों का आदेश दे चुके हैं ट्रम्प
अगर ट्रम्प ये हमला निरस्त नहीं करते तो उनके कार्यकाल में मध्य पूर्व में अमेरिका का ये तीसरा हमला होता। इससे पहले वह 2017 और 2018 में सीरिया में हवाई हमलों का आदेश दे चुके हैं।
ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद खराब हुए अमेरिका-ईरान के संबंध
बता दें कि ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अमेरिका और ईरान के रिश्तों में जबरदस्त तनाव चल रहा है और बात सैन्य टकराव के मुहाने तक पहुंच गई है। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने ईरान परमाणु संधि से अमेरिका को बाहर कर लिया था। बेहद महत्वपूर्ण ये संधि 2015 में बराक ओबामा के कार्यकाल में हुई थी। इ सके बाद से ही परमाणु हथियारों और एक-दूसरे पर हमले के आरोपों को लेकर अमेरिका-ईरान आमने-सामने रहते हैं।