इंटरमिटेंट फास्टिंग से लगभग 91 प्रतिशत बढ़ जाता है हृदय रोग से मौत का खतरा- अध्ययन
जिस इंटरमिटेंट फास्टिंग को वजन घटाने का एक कारगर तरीका बताया जाता है, एक अध्ययन में उसके कारण हृदय रोग से मौत का खतरा बढ़ने का दावा किया गया है। शिकागो में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के जीवनशैली वैज्ञानिक सत्र में पेश किए गए इस अध्ययन में सामने आया है कि भोजन के समय को प्रतिदिन केवल 8 घंटे की अवधि तक सीमित करना यानि इंटरमिटेंट फास्टिंग से हृदय रोग से मौत का खतरा 91 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
20,000 लोगों के डाटा का विश्लेषण कर किया गया अध्ययन
ये अध्ययन शंघाई जिओ टोंग यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के विक्टर झोंग के नेतृत्व में हुआ। इसमें अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य और पोषण परीक्षण सर्वेक्षण में शामिल 20,000 वयस्कों के डाटा का विश्लेषण किया गया। इसमें 2003 से 2019 तक के मौत के आंकड़े और प्रश्नावलियों के जवाब शामिल रहे। विश्लेषण में शामिल लोगों की औसत उम्र 48 साल थी और इनमें से लगभग आधे पुरुष थे। इनमें मधुमेह, हाइपरटेंशन और कार्डियोवस्कुलर रोगों का प्रसार कम था।
अध्ययन पर सवाल भी उठे
कुछ विशेषज्ञों ने अध्ययन के निष्कर्ष पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि हृदय रोग जैसे छिपे हुए कारकों के कारण निष्कर्ष प्रभावित हो सकता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मानव मेटाबॉलिज्म के प्रोफेसर कीथ फ्रेयन ने कहा, "समय-प्रतिबंधित भोजन कैलोरी सेवन को कम करने के लिए लोकप्रिय है। यह अध्ययन यह दिखाने के लिए महत्वपूर्ण है कि हमें इस अभ्यास के प्रभावों को (समझने के लिए) दीर्घकालिक अध्ययनों की जरूरत है, लेकिन इसने कई सवालों के जवाब नहीं दिए हैं।"
अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने भी स्वाकारी गलती की संभावना
अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने भी कहा है कि चूंकि यह अध्ययन कई मामलों में ऐसे जवाबों पर आधारित है, जिसमें मरीजों को यह याद करना पड़ता था कि उन्होंने पिछले 2 दिन में क्या खाया, इसलिए इसमें संभावित गलतियों की गुंजाइश है। झोंग ने यह भी कहा कि ये साफ नहीं था कि मरीजों ने कितने लंबे समय तक इंटरमिटेंट फास्टिंग की, लेकिन शोधकर्ताओं ने मान लिया कि उन्होंने इसे जारी रखा।
क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग?
इंटरमिटेंट फास्टिंग एक ऐसी डाइट है, जिसमें उपवास के जरिए वजन कम किया जाता है। इसमें बीच में कुछ समय छोड़-छोड़ कर उपवास करना होता है। यूं तो इसके कई तरीके हैं, लेकिन 2 तरीके सबसे ज्यादा चर्चित हैं। पहला 16/8 इंटरमिटेंट फास्टिंग है, जिसमें 16 घंटे उपवास रखना होता है और 8 घंटे की अवधि खाने के लिए होती है। दूसरे तरीके में हर दूसरे दिन यानि एक दिन छोड़कर उपवास रखा जाता है।