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    #BirthdaySpecial: स्वामी विवेकानंद ने अपने इस भाषण से भारत को पूरी दुनिया में अलग पहचान दिलाई

    #BirthdaySpecial: स्वामी विवेकानंद ने अपने इस भाषण से भारत को पूरी दुनिया में अलग पहचान दिलाई

    लेखन प्रदीप मौर्य
    Jan 12, 2019
    01:27 pm

    क्या है खबर?

    स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इन्होंने 25 साल की उम्र में परिवार छोड़ दिया और साधु बन गए।

    उन्होंने अपने ज्ञान का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया था। अमेरिका के शिकागो में सन 1893 में आयोजित धर्म संसद में दुनिया के सभी धर्मों के प्रतिनिधियों के बीच उन्होंने सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए यादगार भाषण दिया।

    इस भाषण ने भारत को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई।

    विश्व धर्म संसद

    विश्व धर्म संसद में दिए भाषण को हो गए 125 साल

    ज़्यादातर लोग यही जानते हैं कि विवेकानंद ने अपना भाषण 'बहनों और भाइयों' से शुरू किया था और सभी को 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना से अवगत करवाया था।

    लेकिन उन्होंने अपने पूरे भाषण में क्या कहा था, इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है।

    विश्व धर्म संसद में दिए विवेकानंद के भाषण को लगभग 125 साल पूरे हो गए हैं। आज हम आपको उनके ऐतिहासिक भाषण की कुछ ख़ास बातें और महत्वपूर्ण विचारों के बारे में बताने जा रहे हैं।

    भाषण

    'दुनिया की सबसे प्राचीन परंपरा की तरफ़ से धन्यवाद'

    विवेकानंद ने भाषण की दौरान कहा था, "मैं आपको दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की तरफ़ से धन्यवाद देता हूँ। सभी धर्मों की जननी की तरफ़ से धन्यवाद देता हूँ, इसके साथ ही सभी जाति, संप्रदाय के लाखों-करोड़ों हिंदुओं की तरफ़ से आपका आभार व्यक्त करता हूँ।"

    उन्होंने कहा था, "मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूँ, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है।"

    सामाजिक समस्या

    'कितनी ही बार यह धरती हुई ख़ून से लाल'

    विवेकानंद ने दुनिया की सामाजिक समस्याओं के बारे में भी बोला था। उन्होंने कहा, "साम्प्रदायिकताएं, कट्टारताएँ, हठधर्मिता और इसके भयानक वंशज लंबे समय से अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं। इन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है। कितनी बार यह धरती ख़ून से लाल हुई है। कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हुए हैं।"

    उन्होंने आगे कहा कि अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज कहीं ज़्यादा उन्नत होता।

    विवेकानंद

    आज भी युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं स्वामी विवेकानंद

    स्वामी विवेकानंद ने समाज की बुराइयों को दूर करने का प्रयास भी किया था। इन्होंने कई ऐसी बातें कहीं हैं जो उस समय जितनी संगत थी, आज भी उसका उतना ही महत्व है।

    आज भी उनकी कही हुई बातें लोगों, ख़ासकर युवाओं की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

    ये आज भी युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। आज हम आपको विवेकानंद की कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो आपका जीवन हमेशा के लिए बदल सकती हैं।

    बयान

    ख़ुद पर विश्वास रखो और मज़बूत बनों

    स्वामी विवेकानंद ने कहा था, अगर आपको 33 करोड़ देवी देवताओं पर विश्वास है, लेकिन ख़ुद पर विश्वास नहीं है तो आपको मोक्ष नहीं मिल सकता है। आप ख़ुद पर विश्वास रखो और मज़बूत बनों।

    विचार

    स्वामी विवेकानंद के महत्वपूर्ण विचार

    "अंधविश्वास मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है, लेकिन धर्मांधता उससे भी बुरी है।"

    "शिक्षा मनुष्य में पहले से पूर्णता का प्रकटीकरण है।"

    "हम ऐसी शिक्षा चाहते हैं जो चरित्र निर्माण करे, जिससे मनोबल बढ़े, बुद्धि का विस्तार हो और व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा हो सके।"

    "जब तक लाखों लोग भूखे और अज्ञानी होंगे, मैं हर उस व्यक्ति को देशद्रोही ठहराऊँगा, जो अपने ख़र्चों पर शिक्षित हो गए और उन पर ध्यान नहीं दिया।"

    बयान

    एक समय में एक काम करो और उसमें पूरी आत्मा डाल दो

    विवेकानंद ने कहा था, उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते। इसके अलावा, एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।

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