यमन पर अमेरिका और ब्रिटेन के हमले कैसे बढ़ा सकते हैं हूती विद्रोहियों का मनोबल?
यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर अमेरिका और ब्रिटेन ने हमला कर उसे चेताया है कि वह लाल सागर में अपने हमलों को रोक दे। विशेषज्ञों का मानना है कि इन हमलों ने हूती विद्रोहियों को डराने की बजाय उन्हें और प्रोत्साहित किया है और वे लाल सागर पर हमले तेज कर सकते हैं। बता दें कि इजरायल-हमास युद्ध में हूती विद्रोही हमास के समर्थन में लाल सागर में कई मालवाहक जहाजों पर हमले किये हैं।
अमेरिका और ब्रिटेन ने हूतियों के 12 ठिकानों को बनाया था निशाना
लाल सागर में यमन के हूती विद्रोहियों के लगातार हमलों को लेकर अमेरिका ने पहले चेताया था, क्योंकि इन हमलों से समुद्री मार्ग के जरिए वैश्विक व्यापार प्रभावित हो रहा है। हूतियों के हमले न रुकने पर अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन की राजधानी सना और अल-हुदायदाह के बंदरगाहों सहित हूतियों के 12 से अधिक ठिकानों पर हवाई हमले किये। बता दें कि हूती लाल सागर में इजरायल से जुड़े जहाजों पर हमला कर उसे आर्थिक नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
अमेरिका और ब्रिटेन के हमले से हूतियों पर क्या हो सकता है असर?
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे हूतियों के इलाके में उनका कद बढ़ेगा। यह उन्हें और हमले करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, क्योंकि दुनिया की एकमात्र महाशक्ति एक ऐसे समूह से मुकाबला कर रही है जिसे यमन की सरकार के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है। हालांकि, यमन के एक बड़े हिस्से पर हूतियों का नियंत्रण हैं, लेकिन उसकी प्रोफाइल केवल क्षेत्रीय पहचान तक सीमित रही है।
हमले से हूती विद्रोहियों पर गया दुनिया का ध्यान
10 जनवरी को अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन में हूतियों द्वारा दागे गए 21 ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराया था। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें लाल सागर में हूतियों के हमले की निंदा की गई और उसकी बढ़ती ताकत को रेखांकित किया गया अब अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा हूतियों के ठिकानों हुए हमले से दुनिया का ध्यान हूतियों पर गया है।
लाल सागर में बढ़ सकते हैं हूती विद्रोहियों के हमला
अल जजीरा से बातचीत में सना सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के एक वरिष्ठ शोधकर्ता अब्दुलगनी अल-इरियानी ने कहा, "हूतियों ने उस दिन ही इस टकराव को जीत लिया था, जब उन्होंने इसे शुरू किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि हूतियों ने हमेशा अमेरिका और इजरायल को यमन और मध्य पूर्व की समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिका के साथ सीधे टकराव से हूतियों का मनोबल बढ़ेगा और वे लाल सागर में हमलों को तेज कर सकते हैं।
पड़ोसियों के साथ शांति वार्ता की योजना
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 में हूतियों ने यमन की तत्कालीन मान्यता प्राप्त सरकार को उखाड़ फेंका था। तब से सऊदी अरब ने हूतियों के खिलाफ जंग छेड़ दी, जो अब तक जारी है। हालांकि, हूती अभी भी पड़ोसी सऊदी अरब के साथ दीर्घकालिक युद्धविराम पर बातचीत कर रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि हूती लाल सागर के अपना हाथ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि सऊदी अरब बातचीत की मेज पर आ जाए।
सऊदी अरब मान सकता है हूतियों की मांग- विशेषज्ञ
विशेषज्ञों की मानें तो सऊदी अरब यमन में तनाव नहीं बढ़ने देना चाहता, इसलिए दिसंबर में रियाद ने अमेरिका से संयम बरतने का आग्रह किया था। अमेरिका के हमले से रियाद की चिंताएं बढ़ गई हैं क्योंकि इस अस्थिरता से रियाद को कोई लाभ नहीं होगा। हूतियों के हमले से सऊदी अरब का तेल का बुनियादी ढांचा काफी प्रभावित हुआ है। ऐसे में वह शांति कायम के लिए हूतियों के साथ वार्ता कर उसे मान्यता भी दे सकता है।
कौन हैं हूती विद्रोही और कैसे यमन पर किया कब्जा?
बता दें कि हूती संगठन की नींव 1990 के दशक में हुसैन बदरद्दीन अल-हूती ने रखी थी, जिनका संबंध यमन के शिया बहुल समुदाय से था। इस संगठन का नेतृत्व हूती जनजाति करती है और ये देश में शिया मुस्लिमों का सबसे बड़ा संगठन है। इसके गठन का उद्देश्य तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्लाह सालेह के भ्रष्टाचार लड़ना था, हूतियों का विद्रोह धीरे-धीरे राजनीतिक और नागरिक आंदोलन बन गया। 2015 में हूतियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया था।