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#NewsBytesExplainer: क्या मोदी सरकार को खतरा है, अविश्वास प्रस्ताव पर क्या कहते हैं आंकड़े? 
केंद्र सरकार के खिलाफ लाया गया है अविश्वास प्रस्ताव

#NewsBytesExplainer: क्या मोदी सरकार को खतरा है, अविश्वास प्रस्ताव पर क्या कहते हैं आंकड़े? 

Aug 08, 2023
08:28 pm

क्या है खबर?

लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर आज से चर्चा शुरू हो गई। कांग्रेस की अगुवाई में तमाम विपक्षी पार्टियों के कई सांसदों ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपने-अपने तर्क रखे। प्रधानमंत्री मोदी अविश्वास प्रस्ताव का जवाब 10 अगस्त को लोकसभा में देंगे। आइए समझते हैं कि विपक्ष केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों लेकर आया है और क्या वह इसे जीतने में सफल हो सकता है।

प्रस्ताव 

पहले अविश्वास प्रस्ताव के बारे में जानें

भारत के संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 75 के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है। इसका मतलब यह है कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्री तब तक अपने पद पर बने रह सकते हैं जब तक उन्हें लोकसभा के अधिकांश सदस्यों का विश्वास प्राप्त है। अविश्वास प्रस्ताव के जरिए यह देखा जाता है कि अधिकांश सांसदों को प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल पर विश्वास है या नहीं।

कारण 

विपक्ष क्यों लेकर आया है अविश्वास प्रस्ताव? 

विपक्षी पार्टियां संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद से लगातार मणिपुर हिंसा पर चर्चा के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग कर रही हैं। दूसरी तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि वह चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के बयान की कोई आवश्यक नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष का असली लक्ष्य प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर पर बोलने के लिए मजबूर करना है और इसी कारण ये प्रस्ताव लाया गया है।

जानकारी

अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के लिए कितना बहुमत जरूरी? 

543 सदस्यों वाली लोकसभा में वर्तमान में 539 ऐसे सदस्य हैं जो अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करने के लिए योग्य हैं। इस हिसाब से अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा के अंदर पारित करवाने और सरकार गिराने के लिए जरूरी संख्याबल 270 है।

स्थिति 

लोकसभा में सत्ता पक्ष कितना मजबूत? 

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लोकसभा में 545 में से 331 सांसद हैं। इनमें भाजपा के अकेले 301 सांसद हैं। बीजू जनता दल (BJD) के 12 सांसद और YSR कांग्रेस पार्टी के 22 सांसद भी सरकार के समर्थन में मतदान कर सकते हैं। इस हिसाब से बहुमत के आंकड़े (270) से काफी अधिक संख्याबल रखने वाली केंद्र सरकार अविश्वास प्रस्ताव को काफी आराम से गिराने में सफल हो जाएगी।

विपक्ष 

विपक्ष की क्या स्थिति है? 

विपक्ष के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) के पास लोकसभा में 143 सदस्य हैं। इनमें कांग्रेस के 49 सांसद शामिल हैं, जबकि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के 24 सांसद और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 23 सांसद हैं। भारत राष्ट्र समिति (BRS) के 9 सांसदों के समर्थन की भी उम्मीद लगाए बैठे विपक्ष के पास अविश्वास प्रस्ताव जीतने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है और मोदी सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है।

प्रस्ताव 

अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने पर क्या होता है? 

आमतौर पर अविश्वास प्रस्ताव जब लाया जाता है जब किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार बहुमत खो चुकी है। हालांकि, इस बार कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष केंद्र को मणिपुर हिंसा पर घेरने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। लोकसभा स्पीकर से मंजूरी के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की जा रही है, जिसके बाद मतदान होना है। अगर केंद्र सरकार अविश्वास प्रस्ताव के मतदान में बहुमत हासिल नहीं कर पाती है तो सरकार गिर जाती है।

प्रस्ताव 

न्यूजबाइट्स प्लस

यह पहला मौका नहीं है जब मोदी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है। जुलाई, 2018 में तेलुगू देशम पार्टी (TDP) अन्य पार्टियों के समर्थन से भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। इस दौरान राफेल सौदे से लेकर मॉब लिंचिंग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। प्रस्ताव के पक्ष में 126 सांसदों ने वोट दिया था और इसके खिलाफ 325 वोट पड़े थे, जिसके बाद यह प्रस्ताव गिर गया था।