
मणिपुर में जारी हिंसा का पूर्वोत्तर भारत के अन्य राज्यों पर क्या असर पड़ रहा है?
क्या है खबर?
मणिपुर में पिछले करीब 3 महीने से हिंसा जारी है। गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच जारी जातीय हिंसा के नहीं रुकने के कारण पूर्वोत्तर भारत के अन्य राज्यों में इसकी आंच पहुंचने का खतरा पैदा हो गया है।
अलगाववाद के कारण लंबे समय तक अशांति और अस्थिरता का दंश झेल चुके पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में मणिपुर हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।
आइए मणिपुर के अन्य राज्यों पर असर का विश्लेषण करते हैं।
मामला
महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने पर आदिवासी समुदाय नाराज
मणिपुर में कुकी समुदाय की 2 महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने का मामला सामने आने के बाद अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के लोग काफी नाराज हैं। आरोपियों के गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय से होने के कारण मामला और भड़क गया है।
मिजोरम, असम और मेघालय समेत अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में रहने वाले आदिवासी लोग मैतेई समुदाय के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
स्थिति
मिजोरम में दहशत में हैं मैतेई समुदाय के लोग
मणिपुर के पड़ोसी राज्य मिजोरम में रहने वाले अल्पसंख्यक मैतेई समुदाय के लोगों के बीच दहशत का माहौल है।
पूर्ववर्ती मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) उग्रवादियों के एक संगठन पीस अकॉर्ड MNF रिटर्नीज एसोसिएशन (PAMRA) की चेतावनी भरे एक बयान के बाद मैतेई लोगों ने मिजोरम से पलायन करना शुरू कर दिया है।
मिजोरम सरकार ने मैतेई समुदाय के लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दिया है, लेकिन इसके बावजूद लोगों के बीच डर कायम है।
असर
पूर्वोत्तर भारत के अन्य राज्यों में क्या है स्थिति?
असम के कुछ इलाकों में भी मैतेई और कुकी समुदाय के लोग रहते हैं, जिसके कारण तनाव होने की चिंता बनी हुई है।
मेघालय में भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, जहां पर शुरुआती तनाव के बाद अशांति फैलाने के आरोप में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
कुछ प्रदर्शनों को छोड़कर त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में अब तक मणिपुर हिंसा का सीधा कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।
असर
मणिपुर में पहले हुई हिंसा का क्या असर हुआ था?
मणिपुर में वर्ष 2001 में अलगाववादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN) की हिंसक गतिविधियों का नागालैंड में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा था।
नागा लोगों ने तब कहा था कि मामला तांगखुल जनजाति से संबंधित है क्योंकि NSCN के प्रमुख नेता तांगखुल जनजाति के हैं।
इसके पहले 1992-1993 में कुकी और नागा समुदाय के बीच हुई हिंसा के दौरान भी पूर्वोत्तर राज्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।
हिंसा
मणिपुर में 3 मई को भड़की थी हिंसा
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय ने गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च मिकाली थी, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी।
मणिपुर हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हो चुके हैं।
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में जारी मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई हैं।