'अवार्ड वापसी' से निपटने के लिए संसदीय समिति ने दिए सुझाव, जानें क्या कहा
संसद की एक समिति ने 'अवार्ड वापसी' जैसी स्थिति से निपटने के लिए सुझाव दिए हैं। समिति ने सिफारिश की है कि शीर्ष सांस्कृतिक संस्थानों और अकादमियों को सरकारी पुरस्कार प्राप्त करने वाले विजेताओं से पहले ही अंडरटेकिंग (शपथपत्र) पर हस्ताक्षर करवा लेने चाहिए, जिससे वे अपने पुरस्कारों को नहीं लौटाएं। समिति ने कहा कि राजनीतिक मुद्दों के विरोध में विजेताओं द्वारा पुरस्कार लौटाने से पुरस्कारों की व्यापक प्रतिष्ठा पर गहरा असर पड़ता है।
राजनीतिक कारणों से पुरस्कार न लौटाएं विजेता- समिति
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय समिति ने सोमवार को संसद में 'राष्ट्रीय अकादमियों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों की कार्यप्रणाली' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट पेश की थी। YSR कांग्रेस पार्टी के सांसद जय साई रेड्डी की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपना सुझाव देते हुए कहा कि जब भी कोई पुरस्कार दिया जाए तो प्राप्तकर्ता की सहमति अवश्य ली जानी चाहिए, जिससे वह राजनीतिक कारणों से इसे वापस न लौटाए।
समिति बोली- सांस्कृतिक संस्थाओं में राजनीति की कोई जगह नहीं
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि साहित्य अकादमी और अन्य संस्थान अराजनीतिक संगठन हैं, जिनमें राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। समिति ने कहा, "अकादमियों द्वारा दिए गए पुरस्कारों की वापसी से जुड़ी ऐसी अनुचित घटनाएं अन्य पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धियों को कमजोर करती हैं और पुरस्कारों की समग्र प्रतिष्ठा को भी प्रभावित करती हैं। पुरस्कार लौटाए जाने की स्थिति में पुरस्कार विजेता के नाम पर भविष्य में कभी विचार नहीं किया जाना चाहिए।"
समिति ने और क्या कहा?
समिति ने ऐसे पुरस्कार विजेताओं की नियुक्ति पर भी सवाल उठाया, जो अकादमी का कथित तौर पर अपमान करने के बाद अकादमी में शामिल हुए थे और सिफारिश की थी कि पुरस्कार के लिए चयनित उम्मीदवारों की पूर्व सहमति ली जानी चाहिए। बता दें कि इस समिति में डॉ सोनल मान सिंह, मनोज तिवारी, छेदी पहलवान, दिनेश लाल यादव 'निरहुआ', तीरथ सिंह रावत, रजनी पाटिल, तापिर गाओ और राजीव प्रताप रूडी शामिल हैं।
समिति ने कलबुर्गी की हत्या का किया जिक्र
समिति ने 2015 में कर्नाटक के लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या किए जाने के विरोध में कई हस्तियों द्वारा पुरस्कार लौटाए जाने की घटना का जिक्र किया है। समिति ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और सभी लोगों को अभिव्यक्ति और विरोध करने की आजादी है, लेकिन पुरस्कार लौटाना विरोध का एक नया और अनुचित तरीका बन गया है। बता दें कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बाद भी कुछ विजेताओं ने पुरस्कार लौटाने की पेशकश की थी।