#NewsBytesExplainer: आंध्र में अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित करने के प्रस्ताव से संबंधित विवाद क्या है?
क्या है खबर?
आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड की ओर से अहमदिया मुसलमानों को गैर-मुस्लिम घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसका मुस्लिम संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने भी समर्थन किया है।
केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के इस प्रस्ताव की निंदा की है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह प्रस्ताव एक समुदाय के विरुद्ध नफरत की मुहिम चलाने जैसा है।
आइए जानते हैं कि अहमदिया मुसलमानों से जुड़ा ये क्या विवाद है।
अहमदिया
कौन होते हैं अहमदिया मुसलमान?
मिर्जा गुलाम अहमद ने 20वीं सदी की शुरुआत में इस्लाम के पुनरुथान का एक आंदोलन चलाया था और उनके अनुयायी खुद को अहमदिया मुसलमान कहते हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में अहमदिया मुस्लिमों की संख्या लगभग एक लाख है। इस समुदाय के ज्यादातर मुसलमान पंजाब के कादियान कस्बे में रहते हैं, जहां समुदाय के संस्थापक मिर्जा गुलाम अहमद का जन्म हुआ था।
इसके अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, बंगाल और बिहार में भी इस समुदाय के लोग बसे हैं।
प्रस्ताव
अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित करने का मौजूदा मामला क्या है?
आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड ने फरवरी, 2012 के एक पुराने फतवे के आधार पर एक प्रस्ताव पारित किया है। फतवे में काजियों से कहा गया था कि वह अहमदिया समुदाय के लोगों के निकाह न पढ़ाएं क्योंकि वह मुसलमान नहीं हैं।
अहमदिया समुदाय ने इस फतवे को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद इस प्रस्ताव को स्थगित कर दिया था।
इस साल फरवरी में वक्फ बोर्ड ने दोबारा अहमदिया मुसलमानों को गैर-मुस्लिम घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया।
प्रस्ताव
वक्फ बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में क्या कहा?
आंध्र वक्फ बोर्ड ने इस प्रस्ताव में अहमदिया समुदाय को 'गैर-मुस्लिम' और 'काफिर' करार दिया है। इस प्रस्ताव में अहमदिया समुदाय की संपत्ति को वक्फ की संपत्ति से अलग कर दिया गया है।
इसके अलावा वक्फ बोर्ड ने राज्य सरकार से कहा है कि वह अहमदिया समुदाय के मुसलमानों की संपत्ति को सीधे अपने प्रबंधन में ले सकती है।
20 जुलाई को अहमदिया समुदाय ने इस प्रस्ताव के खिलाफ अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को एक पत्र लिखकर शिकायत की थी।
पत्र
प्रस्ताव पर अल्पसंख्यक मंत्रालय ने क्या कहा?
अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इस प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड को अहमदिया समुदाय या अन्य किस समुदाय की धार्मिक पहचान तय करने का कोई अधिकार नहीं है और यह अहमदिया बिरादरी के विरुद्ध नफरत फैलने के अभियान के जैसा है।
21 जुलाई को मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव केएस जवाहर रेड्डी को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि वह इस वक्फ बोर्ड के असंवैधानिक और गैरकानूनी प्रस्ताव की समीक्षा करे।
संगठन
जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने प्रस्ताव पर क्या कहा?
देश में सुन्नी मुसलमानों के संगठन जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि अहमदिया इस्लाम की उस मूल आस्था में विश्वास नहीं रखते हैं, जिसके अनुसार इस्लाम के पैंगबर मोहम्मद अल्लाह के आखिरी संदेश वाहक थे।
अपने बयान में संगठन ने 'वर्ल्ड मुस्लिम लीग' की 1974 की एक बैठक का जिक्र किया, जिसमें लीग में शामिल 110 देशों के मुस्लिम प्रतिनिधियों ने अहमदिया समुदाय को इस्लाम से बहिष्कृत करने का प्रस्ताव पास किया था।
खारिज
अहमदिया समुदाय का पैगंबर से संबंधित दावों पर क्या कहना है?
अहमदिया समुदाय ने मुस्लिम संगठनों के इन आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि वह इस्लाम के पैंगबर मोहम्मद को ही आखिरी नबी मानते हैं।
उनके अनुसार, हर अहमदी पैंगबर मोहम्मद के सम्मान में कोई भी कुर्बानी देने से पीछे नहीं रहता और वह सच्चे ईमान से इस्लाम के सभी कर्तव्यों का पालन करते हैं।
उन्होंने कहा कि संवैधानिक तौर पर अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित करने का अधिकार किसी के पास नहीं है।
गैर-मुस्लिम
किस देश में अहमदिया गैर-मुस्लिम घोषित?
इस्लामिक देशों में पाकिस्तान इकलौता देश है, जहां सरकार ने कानूनी तौर पर अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित किया हुआ है। पाकिस्तान सरकार ने कुछ महीने पहले ही इस समुदाय द्वारा बनाई मजिस्दों से मीनार हटाने की मुहिम शुरू की थी।
पाकिस्तान में अधिकांश अहमदिया मुसलमान अपनी पहचान गोपनीय रखते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य इस्लामिक देशों में भी सुन्नी संगठनों द्वारा इस समुदाय को लेकर फतवे जारी किए जाते हैं, लेकिन सरकारों ने उन्हें गैर-मुस्लिम नहीं घोषित किया हुआ।