
#NewsBytesExplainer: क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव और इसकी क्या प्रक्रिया?
क्या है खबर?
कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है।
लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष के इस अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, जिस पर आने वाले दिनों में चर्चा और वोटिंग किए जाने की उम्मीद है।
आइए जानते हैं कि केंद्र सरकार के खिलाफ लाया गया यह अविश्वास प्रस्ताव आखिरकार होता क्या है और इससे संबंधित प्रक्रिया क्या है।
जिक्र
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
भारत के संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 75 के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है।
इसका मतलब यह है कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्री तब तक अपने पद पर बने रह सकते हैं जब तक उन्हें लोकसभा के अधिकांश सदस्यों का विश्वास प्राप्त है।
दूसरे शब्दों में कहें तो केवल लोकसभा ही अविश्वास प्रस्ताव पारित करके प्रधानमंत्री या मंत्रियों को पद से हटा सकती है।
प्रक्रिया
क्यों लाया जाता है प्रस्ताव?
केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है। प्रस्ताव लाने के लिए विपक्षी पार्टियों के किसी सदस्य को लोकसभा अध्यक्ष को लिखित सूचना देनी होती है।
इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष उस सदस्य को इसे पेश करने के लिए कहते हैं। आमतौर पर यह तब लाया जाता है जब किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार बहुमत खो चुकी है।
हालांकि, इस बार विपक्ष केंद्र सरकार को मणिपुर हिंसा पर घेरना चाहता है।
प्रस्ताव
किन नियमों के तहत लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?
लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावाली के चैप्टर 27 के नियम 198(1) से 198(5) तक अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र किया गया है। अविश्वास प्रस्ताव में मंत्री परिषद में अविश्वास व्यक्त करने की बात कही गई है।
किसी सांसद को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए इसकी सूचना लोकसभा के महासचिव को देनी होती है, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष इसके समर्थन में कम से कम 50 सांसदों का समर्थन मिलने पर इसे मंजूर करते हैं।
चर्चा
अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद क्या होता है?
अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा में पेश करने के लिए प्रस्ताव को कम से कम 50 सांसदों का समर्थन हासिल होना चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी मिलने के बाद 10 दिनों के अंदर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराई जाती है। चर्चा पूरी होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करवाने का फैसला लेते हैं।
अगर केंद्र सरकार अविश्वास प्रस्ताव के मतदान में बहुमत हासिल नहीं कर पाती है तो सरकार गिर जाती है।
मामला
लोकसभा में पहली बार कब लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव?
लोकसभा में पहली बार केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव वर्ष 1963 में लाया गया था।
समाजवादी नेता आचार्य कृपलानी इसे भारत के पहले और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ लेकर आए थे। नेहरू सरकार के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 वोट पड़े थे, जबकि इसके विरोध में 347 वोट पड़े थे।
इसके बाद यह प्रस्ताव गिर गया था और नेहरू सरकार सत्ता पर काबिज रही थी।
प्रस्ताव
लोकसभा में अब तक कितने अविश्वास प्रस्ताव आए हैं?
लोकसभा में अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं।
पिछली बार जुलाई, 2018 में तेलुगू देशम पार्टी (TDP) अन्य पार्टियों के समर्थन से भाजपा की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई थी।
इस प्रस्ताव के दौरान राफेल सौदे से लेकर मॉब लिंचिंग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। प्रस्ताव के पक्ष में 126 सांसदों ने वोट दिया था और इसके खिलाफ 325 वोट पड़े थे, जिसके बाद यह प्रस्ताव गिर गया था।
प्रस्ताव
क्या मोदी सरकार को चिंता करने की जरूरत है?
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लोकसभा में 545 में से 331 सांसद हैं। इनमें भाजपा के अकेले 301 सांसद हैं।
विपक्ष के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) के पास लोकसभा में 144 सदस्य हैं, जिनमें कांग्रेस के 49 सांसद शामिल हैं।
ऐसी स्थिति में विपक्षी पार्टियों के पास अविश्वास प्रस्ताव जीतने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है और मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है।