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    #NewsBytesExplainer: भारत के सपनों को साइकिल से अंतरिक्ष तक कैसे ले गया ISRO? जानें पूरी कहानी 
    ISRO ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया

    #NewsBytesExplainer: भारत के सपनों को साइकिल से अंतरिक्ष तक कैसे ले गया ISRO? जानें पूरी कहानी 

    लेखन आबिद खान
    Jul 14, 2023
    08:23 pm

    क्या है खबर?

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नाम आज एक और उपलब्धि दर्ज हो गई है। ISRO ने आज दोपहर 2:35 बजे भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। करीब 40 दिन बाद यानी 23 या 24 अगस्त को ये चांद की सतह पर उतरेगा।

    कभी साइकिल पर रॉकेट ले जाने वाली ISRO आज दुनिया की सर्वश्रेष्ठ अंतरिक्ष एजेंसियों में गिनी जाती है। आइए ISRO के सफर पर नजर डालते हैं।

    शुरुआत

    कैसे शुरू हुआ ISRO का सफर?

    ISRO की कहानी शुरू होती है साल 1962 में। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने फैसला लिया कि भारत भी अंतरिक्ष में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएगा।

    इसी साल नेहरू ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना की और तुंबा भूमध्यरेखीय रॉकेट लॉन्चिंग सेंटर (TERLS) ने काम करना शुरू किया।

    भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की ये औपचारिक शुरुआत थी। 15 अगस्त, 1969 को INCOSPAR का नाम ISRO कर दिया गया। इस तरह भारत को अपनी अंतरिक्ष एजेंसी मिली।

    रॉकेट

    साइकिल पर लेकर गए थे पहला रॉकेट

    21 नवंबर, 1963 का दिन था। इस दिन भारतीय वैज्ञानिकों ने केरल के तिरुवनंतपुरम के करीब थुंबा से पहला रॉकेट लॉन्च किया। तब हालात ये थे कि रॉकेट को साइकिल पर रखकर ले जाया गया।

    इतना ही नहीं, रॉकेट लॉन्च के लिए कोई जगह भी नहीं थी। इसे एक चर्च से लॉन्च किया गया था। चर्च की इमारत को ही दफ्तर बनाया गया। मवेशियों के रहने वाली एक जगह को प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किया गया।

    उपग्रह

    1975 में ISRO ने लॉन्च किया पहला उपग्रह

    19 अप्रैल, 1975 को रूस की मदद से भारत ने अपना पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट' लॉन्च कर अंतरिक्ष की दुनिया में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। यह 360 किलोग्राम वजनी एक छोटा उपग्रह था, लेकिन इसे बनाने में 3 साल का समय लग गया।

    ISRO के तत्कालीन अध्यक्ष सतीश धवन के मार्गदर्शन में एक बेहद युवा और कम अनुभवी टीम ने इसे बनाया था। उस समय 'आर्यभट्ट' की लागत करीब 3 करोड़ रुपये आई थी।

    पहला

    भारत का पहला स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल

    1980 तक ISRO ने अपना स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-3 (SLV-3) बना लिया था। इस रॉकेट का वजन 17 टन था, इस वजह से इसे बैलगाड़ी की मदद से लॉन्च पैड तक ले जाया गया।

    18 जुलाई, 1980 को SLV-3 के जरिए रोहिणी सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया। इसके बाद भारत उन 6 देशों में शामिल हो गया, जो अपने उपग्रहों को खुद प्रक्षेपित कर पाने में सक्षम थे।

    इंदिरा

    जब इंदिरा गांधी ने पूछा- अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?

    साल 1984 में ISRO और सोवियत संघ के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने। 3 अप्रैल, 1984 को उन्होंने रूसी स्पेस सेंटर साल्युत-7 की यात्रा शुरू की और 8 दिन यहां पर रहे।

    जब वे अंतरिक्ष में थे, तब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। इसके जवाब में राकेश ने कहा था- सारे जहां से अच्छा।

    चंद्रयान

    चंद्रयान मिशन की शुरुआत

    15 अगस्त, 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल किले से कहा था, "मुझे बताने में खुशी हो रही है कि साल 2008 से पहले भारत चांद पर अपना यान भेजेगा।"

    22 अक्टूबर, 2008 को ISRO ने चंद्रयान-1 लॉन्च किया। चंद्रयान-1 ने पहली बार चांद की सतह पर पानी होने की पुष्टि की।

    अगस्त, 2009 में चंद्रयान-1 से संपर्क टूट गया। भारत के लिए ये मिशन बेहद कामयाब रहा।

    चंद्रयान-2

    क्रैश लैंडिंग के बावजूद सफल रहा चंद्रयान-2 मिशन

    चंद्रयान-1 की सफलता के बाद भारत ने चंद्रयान-2 पर काम करना शुरू किया। इस मिशन की खास बात थी कि इसमें लगे लैंडर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी।

    19 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया और अगले ही दिन ये सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में पहुंच गया। 6 सितंबर, 2019 को लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग शुरू हुई, लेकिन थोड़ी ही देर में उससे संपर्क टूट गया और लैंडर क्रैश हो गया।

    मंगलयान

    मंगलयान की कामयाबी ने रचा इतिहास

    5 नवंबर, 2013 को ISRO ने मंगलयान लॉन्च किया। सितंबर, 2014 में मंगलयान ने मंगल की सतह पर लैंडिंग की और इसी के साथ पहले ही प्रयास में मंगल पर अपना यान उतारने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया।

    इस मिशन में मात्र 450 करोड़ रुपये की लागत आई थी, जिसने बाकी अंतरिक्ष एजेंसियों को चौंका दिया था।

    दुनियाभर में भारत के इस मिशन की तारीफ हुई। चीन ने भारत की इस उपलब्धि को 'एशिया का गर्व' कहा।

    रिकॉर्ड

    ISRO के नाम हैं ये रिकॉर्ड

    14 फरवरी, 2017 को ISRO ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से एक साथ 104 सैटेलाइट को लॉन्च कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था।

    27 मार्च, 2019 को ISRO ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। इस दिन एंटी-सैटेलाइट (A-SAT) से एक भारतीय सैटेलाइट को सफलतापूर्व नष्ट किया गया। ऐसा करके भारत अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने वाला चौथा देश बन गया।

    11 अप्रैल, 2018 को ISRO ने IRNSS लॉन्च किया। इससे भारत को अपना नेवीगेशन सिस्टम 'नाविक' मिला।

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