#NewsBytesExplainer: लॉन्च व्हीकल मार्क-3 से लॉन्च होगा चंद्रयान-3, जानिये इस रॉकेट की खासियत
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) आज दोपहर 2:35 बजे चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च करेगा। इस मिशन को लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) लॉन्चर से लॉन्च किया जाएगा। पहले इस रॉकेट का नाम जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (GSLV मार्क-3) था, जिसे बदलकर लॉन्च व्हीकल मार्क-3 कर दिया गया है। वर्ष 2019 में चंद्रयान -2 मिशन के लिये इसी GSLV मार्क-3 का उपयोग गया था, जो नाम बदलने के बाद इस रॉकेट की पहली उड़ान थी। जान लेते हैं LVM3 से जुड़ी अन्य जानकारी।
LVM-3 ने अब तक पूरे किए 6 मिशन
LVM-3 ने अब तक कुल 6 मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। इसने पहली बार अंतरिक्ष का सफर 18 दिसंबर, 2014 को LMV3/केयर मिशन के साथ किया था। इसके बाद 5 जून, 2017 में इसने जीसैट-19 मिशन, 14 नवंबर, 2018 को जीसैट-29 मिशन, 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 मिशन, 23 अक्टूबर, 2022 को वनवेब इंडिया-1 मिशन और 26 मार्च, 2023 को वनवेब इंडिया-2 मिशन को लॉन्च किया। वनवेब मिशन में इस रॉकेट ने 36 सैटेलाइट एक बार में स्थापित किये थे।
भारत का सबसे बड़ा और भारी लॉन्च व्हीकल है LVM-3
मल्टी सैटेलाइट की लॉन्चिंग से लेकर मल्टी ऑर्बिट (LEO, MEO, GEO) और दूसरे ग्रहों के मिशनों को अंजाम देने के लिए यह भारत का सबसे बड़ा और भारी लॉन्च व्हीकल है। यह रॉकेट पृथ्वी की निचली ऑर्बिट (जो पृथ्वी की सतह से करीब 200 किलोमीटर ऊपर है) तक करीब 8 टन पेलोड ले जा सकता है। इसके ऊपर की कक्षाओं, जो 35,000 किलोमीटर की ऊंचाई तक हैं, वहां तक इसका आधा वजन ले जा सकता है।
3 स्टेज वाला है यह रॉकेट
यह लॉन्च व्हीकल 3 स्टेज वाला रॉकेट है। इसमें 2 ठोस रॉकेट बूस्टर S200, कोर स्टेज या L110 लिक्विड स्टेज और क्रायोजेनिक अपर स्टेज C25 है। इसके सॉलिड रॉकेट बूस्टर में भरे ईंधन का भार 205 टन, कोर स्टेज में 115 टन ईंधन और क्रोयजेनिक इंजन में 28 टन है। चंद्रयान-3 मिशन के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल का कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। यह रॉकेट कुल 640 टन वजन ऊपर लेकर जाएगा।
ऐसे काम करेगा सिस्टम
LVM-3 रॉकेट चंद्रयान-3 को सोलर ऑर्बिट में चांद की कक्षा में पहुंचाएगा। सोलर ऑर्बिट में चांद के चारों तरफ 5 चक्कर लगाने के बाद चंद्रयान-3 की लैंडिंग होगी। लैंडिंग से पहले चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर मॉड्यूल को गिरा देगा और लैंडर चांद की सतह पर उतरना शुरू कर देगा। चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर के भीतर रखा रोवर बाहर निकलेगा और यह चांद की सतह पर घूमकर परीक्षण करना शुरू करेगा।
मिशन की सफलता के लिए जरूरी है सॉफ्ट लैंडिंग
मिशन की सफलता के लिए सॉफ्ट लैंडिंग इसलिए जरूरी है, क्योंकि चंद्रयान 3 से पहले भारत ने 4 साल पहले वर्ष 2019 में चांद मिशन चंद्रयान-2 लॉन्च किया था। इसके बारे में बताया गया कि सॉफ्ट लॉैंडिंग न होने के चलते यह मिशन फेल हो गया था। हालांकि, इस मिशन को पूरी तरह से फेल नहीं माना गया, लेकिन इसके लिए तय किए गए उद्देश्य पूरे नहीं हुए। अब उन उद्देश्यों को चंद्रयान-3 से हासिल किया जाएगा।
दक्षिणी ध्रुव को चुना गया लैंडिंग साइट
चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करेगा। दरअसल, चांद का दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव की तुलना में बड़ा है। दक्षिणी ध्रुव का काफी हिस्सा हजारों वर्षों से सूर्य की रोशनी न पहुंचने से स्थायी रूप से छाया वाला क्षेत्र भी है, जिससे यहां बर्फ जमी है और पानी मिलने की संभावना है। ISRO के वैज्ञानिकों के अनुसार, लैंडर मॉड्यूल चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 23 या 24 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है।
सफलता सुनिश्चित करने के लिए किए गए ये बदलाव
ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा था कि लॉन्च के दौरान किसी भी मुश्किल से बचने के लिए चंद्रयान-3 के हार्डवेयर, डिजाइन, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और सेंसर को सुधारा गया है। उन्होंने बताया था कि निर्धारित लैंडिंग स्थान पर कोई दिक्कत होने पर चंद्रयान-3 को दूसरे एरिया में उतरने में मदद करने के लिए नया सॉफ्टवेयर जोड़ा गया है। लैंडिंग के समय मुश्किल आने पर चंद्रयान-3 लैंडिंग साइट बदलने में भी सक्षम है।