#NewsBytesExplainer: मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती में कथित घोटाले का पूरा विवाद क्या है?
मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में कथित घोटाले को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को छात्रों ने कई शहरों में प्रदर्शन करते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की। छात्रों के प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वे परिणामों के आधार पर नई नियुक्तियों पर रोक लगा रहे हैं और मामले की जांच करवाई जाएगी। आइए समझते हैं पूरा विवाद क्या है।
कैसे हुई विवाद की शुरुआत?
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) ने मार्च-अप्रैल, 2023 में समूह-2, समूह-4 और पटवारी पद के लिये कुल 8,617 भर्तियां निकाली थीं। पटवारी भर्ती परीक्षा अप्रैल में आयोजित की गई थी, जिसमें 12 लाख से ज्यादा छात्र शामिल हुए थे। कुछ दिन पहले ही इसका परिणाम जारी किया गया, लेकिन मेरिट लिस्ट जारी नहीं की गई। छात्रों के विरोध के बाद शीर्ष 10 अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट जारी की गई, जिसके बाद से विवाद शुरू हो गया।
मेरिट लिस्ट पर क्यों हुआ विवाद?
दरअसल, शीर्ष 10 में से 7 अभ्यर्थियों का परीक्षा केंद्र ग्वालियर का NRI कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट था। ये कॉलेज भिंड से भाजपा के विधायक संजीव कुशवाहा का है। इन 7 अभ्यर्थियों के अनुक्रमांक की शुरुआत भी एक जैसे अंक '2488' से हो रही है। आरोप है कि इन 7 में से 5 ने अपने हस्ताक्षर हिंदी में किए, लेकिन परीक्षा अंग्रेजी में दी। इस केंद्र से परीक्षा देने वाले कुल 114 लोगों का चयन हुआ है।
क्या मांग कर रहे हैं प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी?
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, अभ्यर्थियों की मांग है कि मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से करवाई जाए। जांच पूरी होने तक दस्तावेजों के सत्यापन और नियुक्ति की प्रक्रिया को रोका जाए। अभ्यर्थियों की मांग है कि आगामी सभी परिक्षाओं को ऑफलाइन करवाया जाए और पेपर लीक से जुड़ा कानून बनाकर दोषियों के सख्त कार्रवाई की जाए। अभ्यर्थी परीक्षा स्थगित कर इसे दोबारा आयोजित कराने की मांग भी कर रहे हैं।
मामले पर सरकार का क्या कहना है?
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, "8,000 से अधिक पटवारी परीक्षा में चयनित होकर आए हैं। 13 जिलों में केंद्र बनाए गए और 35 दिन परीक्षाएं चलीं। जिस परीक्षा केंद्र पर आरोप लग रहे हैं, वहां से कुल 114 लोगों का चयन हुआ है। ये पूरी तरीके से कांग्रेस की साजिश है।" हालांकि, मिश्रा के बयान के उलट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कथित गड़बड़ी की जांच कराने की बात कही है।
कांग्रेस ने मामले पर क्या कहा?
मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार को घेरा है। राहुल ने कहा, "पटवारी परीक्षा घोटाला, व्यापम घोटाला 2.0 है, जो प्रदेश के लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।" कमलनाथ ने कहा, "पटवारी भर्ती परीक्षा में बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई है। शिवराज सरकार से जांच की मांग करना भी बेकार है क्योंकि हमेशा बड़ी मछलियों को बचा लिया जाता है।"
पहले भी घोटाले को लेकर चर्चा में रहा है MPSEB
ये परीक्षा MPSEB द्वारा आयोजित की गई थी। MPSEB को ही पहले व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) नाम से जाना जाता था, जो घोटाले के लिए देशभर में सुर्खियों में रहा था। व्यापम घोटाले का खुलासा सबसे पहले साल 2013 में हुआ था। तब व्यापम द्वारा आयोजित किए गए प्री-मेडिकल टेस्ट, प्री-स्नातकोत्तर परीक्षाऔर शिक्षक, खाद्य निरीक्षक, पुलिस कांस्टेबल और आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती में गड़बड़ी मिली थी। जांच के दौरान कई लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।