#NewsBytesExplainer: मानहानि मामले में अब तक क्या हुआ और राहुल के पास आगे कौन-से विकल्प मौजूद?
गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी के मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि के मामले में दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश को न्यायसंगत और सही बताते हुए राहुल को मिली सजा पर भी रोक नहीं लगाई है। आइए जानते हैं कि इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ है और राहुल के पास अब कौन से विकल्प मौजूद हैं।
राहुल ने मोदी सरनेम को लेकर की थी टिप्पणी
राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी होता है। उन्होंने कहा था, "सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है। चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो, चाहे नरेंद्र मोदी।" इस बयान के खिलाफ सूरत में मानहानि का केस दर्ज हुआ था और अन्य राज्यों में भी राहुल के खिलाफ केस दर्ज किए गए थे।
राहुल के खिलाफ भाजपा विधायक ने दर्ज करवाया था केस
सूरत पश्चिम सीट से भाजपा के विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ दर्ज किया था। पूर्णेश का कहना था कि राहुल ने मोदी सरनेम के जरिये मोदी समाज को चोर कहा था और इससे समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची। हालांकि, राहुल के वकील ने दलील दी थी कि पूर्णेश मोदी को इस मामले में पीड़ित पक्ष के रूप में शिकायतकर्ता नहीं होना चाहिए था क्योंकि राहुल गांधी के भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया गया था।
राहुल को मामले में हुई थी 2 साल जेल की सजा
सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 के तहत दोषी पाया था। गौरतलब है कि मानहानि के मामले में दोषी साबित होने पर धारा 500 के तहत अधिकतम 2 वर्ष जेल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। इसी धारा के तहत राहुल को 2 साल जेल की सजा के साथ-साथ 15,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।
राहुल की लोकसभा सदस्यता को किया गया था रद्द
राहुल को दोषी करार दिए जाने के एक दिन बाद 24 मार्च को लोकसभा के सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी कर राहुल की सदस्यता को रद्द कर दिया था। उनके खिलाफ यह कार्रवाई लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 के तहत की गई थी। इस कानून के मुताबिक, इदि किसी जन प्रतिनिधि को किसी भी मामले में 2 साल या इससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाता है।
राहुल को खाली करना पड़ा था सरकारी बंगला
राहुल की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद उन्हें दिल्ली में आवंटित सरकारी बंगले को खाली करने के लिए 27 मार्च को नोटिस भेजा गया था। इसके लिए उन्हें करीब एक महीने का समय दिया गया था। राहुल ने एक महीने से पहले ही 22 अप्रैल को दिल्ली के 12, तुगलक लेन स्थित बंगले को खाली कर दिया था। वह इसके बाद अपनी मां सोनिया गांधी के साथ उनके 10 जनपथ स्थित आवास पर रहने चले गए थे।
सूरत की सेशन कोर्ट में खारिज हुई थी राहुल की याचिका
राहुल ने 3 अप्रैल को सूरत की सेशन कोर्ट में खुद पेश होकर मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद उनकी सजा पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी और जमानत की अवधि को भी बढ़ा दिया गया था। हालांकि, इसके बाद सेशन कोर्ट ने 20 अप्रैल को राहुल की याचिका को खारिज करते हुए उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और सजा को भी बरकरार रखा था।
सेशन कोर्ट के बाद राहुल ने किया था हाई कोर्ट का रुख
सेशन कोर्ट से मामले में निराशा हाथ लगने के बाद राहुल ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने 25 अप्रैल को सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने हाई कोर्ट से मामले में दोषी करार किए जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने 2 मई को राहुल को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और अंतिम फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं राहुल
संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत राहुल के पास अब सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प मौजूद है। राहुल गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल कर मामले में दोषी करार किए जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग कर सकते हैं। हालांकि, अगर सुप्रीम कोर्ट भी राहुल की सजा बरकारार रहती है तो राहुल 2 वर्ष जेल की सजा पूरी होने के 6 साल बाद यानी 2031 तक चुनावी मैदान में नहीं उत्तर पाएंगे।
क्या बहाल हो सकती है राहुल की सांसदी?
यदि राहुल सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हैं और कोर्ट दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगा देती है तो राहुल की सांसदी भी बहाल हो जाएगी। इसका एक उदाहरण तब सामने आया था जब केरल हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद लक्षद्वीप के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सांसद मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गई थी। दरअसल, जनवरी में फैजल को हत्या के प्रयास के मामले में दोषी पाया गया था।