विपक्षी पार्टियों की अहम बैठक से पहले कांग्रेस और TMC के बीच विवाद क्यों?
केंद्र की सत्ता से भाजपा को बेदखल करने के लिए लोकसभा चुनाव से पहले सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कवायद जारी है। इसी के मद्देनजर आगामी 12 जून को विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेताओं की एक अहम बैठक होनी है। इससे पहले ही भाजपा की धुर विरोधी विपक्ष की 2 मुख्य पार्टियां कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) एक-दूसरे पर हमलावर है। आइए जानते हैं कि आखिरकार कांग्रेस और TMC के बीच विवाद क्यों है।
क्या है विवाद का कारण?
सोमवार को पश्चिम बंगाल के एकलौते कांग्रेस विधायक बायरन बिस्वास सत्तारूढ़ TMC में शामिल हो गए। बिस्वास हाल ही में मुर्शिदाबाद जिले की सागरदिघी सीट से कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव जीते थे। कांग्रेस का आरोप है कि TMC ने बिस्वास को बहकाया है, जो पूरी तरह से जनादेश के खिलाफ विश्वासघात है। कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि गोवा, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में भी हो चुकी इस तरह की खरीद-फरोख्त विपक्षी एकता को कमजोर करेगी।
कहां से हुई थी विवाद की शुरुआत?
2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी, लेकिन इस साल सागरदिघी उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट से बिस्वास उपचुनाव जीते थे। उन्होंने यहां वामपंथी पार्टियों के समर्थन से TMC उम्मीदवार देबाशीष बनर्जी को भारी अंतर से हराया था। इसके बाद TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस और वाम पार्टियों पर जमकर निशाना था। इसके अलावा ममता ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी।
अभी क्या है दोनों पार्टियों की स्थिति?
हाल ही में कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत के बाद विपक्षी गठबंधन को लेकर ममता के रूख में थोड़ी नरम देखी गई थी। हालांकि, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के इकलौते विधायक के TMC में शामिल होने के बाद दोनों पार्टियां फिर आमने-सामने आ गई हैं। TMC का कहना है कि कांग्रेस को थोड़ा बड़ा सोचना चाहिए और विपक्षी गठबंधन को समर्थन देने के बाद भी कांग्रेस उनसे लड़ना चाहती है।
पहले भी सामने आ चुके हैं मतभेद
पहले भी कांग्रेस और TMC के बीच ये कड़वाहट राष्ट्रीय राजनीति में देखी गई थी और ममता ने गैर-कांग्रेसी तीसरे मोर्चा की आवश्यकता पर जोर दिया था। गैर-कांग्रेसी मोर्चे के गठन को लेकर ममता ने आम आदमी पार्टी (AAP), राष्ट्रीवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और समाजवादी पार्टी (SP) के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत भी की। इससे पहले कांग्रेस की अडाणी समूह मामले की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच की मांग से TMC ने किनारा कर लिया था।
विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जुटे हैं नीतीश
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने विपक्ष के शीर्ष नेताओं के सामने चुनाव में 'एक सीट, एक उम्मीदवार' का फॉर्मूला रखा है। नीतीश के इस सुझाव पर अधिकांश विपक्षी पार्टियों के नेता सहमति जता चुके हैं, जिनमें ममता भी शामिल हैं। 12 जून को इसी को लेकर पटना में विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेताओं की एक अहम बैठक होनी है।
क्या विपक्षी एकजुटता को लगेगा झटका?
2024 लोकसभा चुनाव में केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए विपक्षी पार्टियों की एकता बहुत जरूरी है। ऐसे में अधिकांश विपक्षी पार्टियां आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ चुनाव लड़ने को तैयार हैं। आगे की रणनीति बनाने के लिए विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेताओं की बैठक में 2 हफ्ते से भी कम का समय बचा है और कांग्रेस और TMC के बीच छिड़ी इस नई जंग के चलते विपक्षी एकजुटता की मुहिम को झटका लग सकता है।