गोधरा कांड: 17 साल बाद पीड़ितों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये देगी गुजरात सरकार
गुजरात की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने गोधरा कांड में जान गंवाने वाले 52 पीड़ितों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला किया है। 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में कारसेवकों से भरे साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में आग लगा दी गई थी। इसके बाद पूरे गुजरात में भयंकर दंगे हुए थे और 1,000 से ज्यादा लोग इसमें मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय से थे। प्रधानमंत्री मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
गुजरात हाई कोर्ट ने दिया था आदेश
मामले में 9 अक्टूबर, 2017 को गुजरात हाई कोर्ट ने दंगों से संंबंधित एक मामले की सुनवाई करते वक्त पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्देश जारी किया था। अब सरकार ने 1 साल 4 महीने बाद फैसले पर अमल करने का निर्णय लिया है। गुरुवार को राज्य के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार मुआवजा देने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 260 लाख रुपये खर्च करेगी।
अयोध्या से कारसेवा करके लौट रहे थे लोग
जडेजा ने बताया कि हाई कोर्ट ने सरकार और रेल मंत्रालय दोनों को घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था। जडेजा ने बताया कि घटना में कुल 59 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से केवल 52 की पहचान हो सकी। मारे गए ज्यादातर लोग अयोध्या से कारसेवा करके लौट रहे थे। मुआवजे की राशि अहमदाबाद स्थित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दी जाएगी, जो पीड़ितों के परिजनों को पैसा बांटेगी।
'गुजरात सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में हुई असफल'
मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने 20 दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा था, जबकि 11 दोषियों की मौत की सजा को घटाकर कठोर आजीवन कारावास में बदल दिया था। कोर्ट ने बचे हुए 63 आरोपियों को निर्दोष करार दिया था। इनमें मामले का कठित मास्टरमाइंड मौलाना हुसैन उमरजी भी शामिल था, जिसकी 2013 में मौत हो गई। कोर्ट ने यह भी कहा था कि गुजरात सरकार घटना के समय कानून व्यवस्था बनाए रखने में असफल रही।
देरी से मुआवजे का क्या फायदा?
अपने पति सतीशचंद्र व्यास को घटना में गंवाने वाली 58 वर्षीय मीना व्यास देरी से मुआवजा मिलने के औचित्य पर सवाल खड़े करती हैं। उन्होंने कहा, "अब मुआवजा देने का क्या मतलब है? जब मेरे पति मरे तब मेरा बेटा तीसरी कक्षा में था। अपने 2 बच्चों को शिक्षा देने के लिए मैंने दूसरे घरों में बर्तन साफ किए। अब मेरे दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है और मुझे उनकी शादी के लिए संबंधियों से कर्ज लेना पड़ा।"
पैसा नहीं ला सकता प्रियजनों को वापस
अपनी मां चंपाबेन पटेल को गंवाने वाले 57 वर्षीय जयंतीभाई पटेल ने कहा, "मुझसे 40 लाख ले लीजिए और मेरी मां को वापस ले आइए। कोई भी अपनी मां की ऐसी जली हुई लाश देखने का दुख नहीं जानता, जिसे पहचाना भी नहीं जा सकता।" जयंतीभाई ने कहा कि भाजपा सरकार मामले में काफी सक्रिय है और अगर कांग्रेस की सरकार होती तो उन्हें कभी मुआवजा नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सचमुच उनके बारे में सोचा है।