दिल्ली सरकार फिर पहुंची सुप्रीम कोर्ट, नौकरशाहों के नियंत्रण के आदेश की अवहेलना का आरोप
क्या है खबर?
दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को केंद्र पर नौकरशाहों के नियंत्रण के फैसले की अवहेलना का आरोप लगाते हुए एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सरकार का आरोप है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद केंद्र सरकार उसके निर्णयों में हस्तेक्षप कर रही है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के हक में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उसे सेवाओं पर नियंत्रण का अधिकार सौंपा था।
आरोप
क्या है दिल्ली सरकार का आरोप?
दिल्ली सरकार ने कोर्ट द्वारा सेवाओं पर नियंत्रण का अधिकार दिये जाने के बाद गुरुवार शाम को ट्रांसफर आदेश जारी किए थे।
विभागीय मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सेवा विभाग में कार्यरत सचिव आशीष मोरे के ट्रांसफर कर दिया। उनकी जगह 1995 बैच के IAS अनिल कुमार सिंह लेंगे, जो दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व CEO रह चुके हैं।
दिल्ली सरकार ने याचिका में कहा है कि केंद्र अधिकारियों के ट्रांसफर में बाधा डाल रहा है।
रिपोर्ट
दिल्ली सरकार ने तैयार रखी है कई नौकरशाहों की ट्रांसफर सूची- रिपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने अभी वित्त विभाग के प्रधान सचिव एसी वर्मा सहित कई नौकरशाहों की सूची तैयार कर रखी है, जिनका ट्रांसफर किया जाना है।
इस लिस्ट में वर्मा का नाम सबसे ऊपर है क्योंकि सरकार ने कुछ महीनों पहले ही उन पर मोहल्ला क्लीनिक का फंड रोकने के आरोप लगाए थे।
हालांकि, अधिकारियों के ट्रांसफर में केंद्र के हस्तक्षेप के बाद सरकार को फिर से कोर्ट की शरण में जाना पड़ा है।
अरविंद
केजरीवाल बोले- कार्यों में बाधा डालने वाले अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था, "दिल्ली में बहुत जल्द बड़ा प्रशासनिक फेरबदल देखने को मिलेगा और सावर्जनिक कार्यों में बाधा डालने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जबकि काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को मौका दिया जाएगा।"
उन्होंने कहा कोर्ट के आदेश से स्पष्ट है कि केंद्र के पास दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
निर्णय
क्या था सुप्रीम कोर्ट फैसला?
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिए।
कोर्ट ने कहा कि सेवाओं पर केंद्र सरकार का नहीं बल्कि दिल्ली सरकार का अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार का अपने अधीन अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं होगा तो वो ठीक से काम नहीं करेंगे और सरकार की बात नहीं मानेंगे। साथ ही कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करना होगा।