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राज्यसभा सभापति के खिलाफ विपक्ष ने दिया अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस, अब आगे क्या?
विपक्ष ने राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है

राज्यसभा सभापति के खिलाफ विपक्ष ने दिया अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस, अब आगे क्या?

लेखन आबिद खान
Dec 10, 2024
03:56 pm

क्या है खबर?

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में खूब हंगामा देखने को मिल रहा है। इस बीच विपक्षी पार्टियां राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई हैं। पार्टियों ने इस संबंध में राज्यसभा के महासचिव को नोटिस दिया है। इस नोटिस में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), समाजवादी पार्टी (SP) समेत कई पार्टियों के 60 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। विपक्ष ने धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण तरीके से सदन चलाने का आरोप लगाया है।

बयान

जयराम रमेश बोले- प्रस्ताव के अलावा कोई विकल्प नहीं था

कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा, 'राज्यसभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण INDIA गठबंधन के सभी घटक दलों के पास उनके खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। INDIA की पार्टियों के लिए ये बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ रहा है।'

कार्यवाही

दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित की गई

आज (10 दिसंबर) को भी संसद के दोनों सदनों में खूब हंगामा हुआ। 11 बजे सदनों की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा में हंगामे के चलते पहले 12 बजे तक सदन स्थगित कर किया गया। 12 बजे कार्यवाही शुरू होने के बाद भी अडाणी और जॉर्ज सोरोस मुद्दे पर हंगामा होने लगा। इसके बाद लोकसभा 11 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई। राज्यसभा की कार्यवाही भी पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

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अगला कदम

अब आगे क्या होगा?

इस प्रस्ताव के लिए संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत 14 दिन पहले लिखित नोटिस देना जरूरी होता है। इस शर्त को पूरी करने के बाद प्रस्ताव को पहले राज्यसभा में पेश किया जाता है। यहां इसे पारित होने के लिए सदन की संख्या से कम से कम आधे वोट मिलना जरूरी है। चूंकि, सभापति देश के उपराष्ट्रपति भी हैं, इसलिए प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना जरूरी है।

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वजह

विपक्ष क्यों लाया अविश्वास प्रस्ताव?

विपक्षी पार्टियों का कहना है कि सभापति धनखड़ का रवैया सदन में पक्षपातपूर्ण रहता है। विपक्षी पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव में आरोप लगाया है कि उन्हें बोलने नहीं दिया जाता और सभापति पक्षपात करते हैं। विपक्ष ने कहा कि 9 दिसंबर को चर्चा के नोटिस खारिज होने के बावजूद ट्रेजरी बेंच के सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया, लेकिन जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे थे, तो उन्हें रोका गया।

संख्याबल

क्या पारित हो पाएगा अविश्वास प्रस्ताव?

विपक्ष के पास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं है। राज्यसभा में प्रस्ताव के पास होने की मामूली संभावनाएं हैं, लेकिन लोकसभा में काफी मुश्किल है। हालांकि, विपक्षी पार्टियों का मानना है कि भले प्रस्ताव पारित न हो पाए, लेकिन ये INDIA गठबंधन को मजबूत कर सकता है और एकता का संदेश जा सकता है। बता दें कि संसदीय इतिहास में अभी तक सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया है।

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