बिहार: आज बहुमत साबित करेंगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
दो हफ्ते पहले भाजपा से गठबंधन तोड़ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेंगे। विधानसभा के स्पीकर अभी भी भाजपा के विजय कुमार सिन्हा बने हुए हैं, ऐसे में पहले उन्हें हटाने के लिए वोटिंग हो सकती है और फिर नया स्पीकर या डिप्टी स्पीकर फ्लोर टेस्ट पर वोटिंग करा सकता है। सिन्हा इस्तीफा देने से इनकार कर चुके हैं।
नीतीश को 165 विधायकों का समर्थन, आराम से साबित कर सकते हैं बहुमत
विधानसभा के आंकड़ों के नजरिए से आज होने वाला फ्लोर टेस्ट औपचारिकता भर है। बिहार विधानसभा का मौजूदा संख्याबल 242 है और बहुमत का आंकड़ा 121 सीट है, वहीं महागठबंधन के पास निर्दलीयों समेत 165 विधायक हैं। इनमें RJD के सबसे अधिक 79 विधायक हैं, वहीं जनता दल यूनाइटेड (JDU) के 45, कांग्रेस के 19, कम्युनिस्ट पार्टी (ML-लिबरेशन) के 12 और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के चार विधायक हैं। सरकार से विपक्ष में पहुंची भाजपा के पास 77 विधायक है।
इसलिए हुई फ्लोर टेस्ट में देरी
नीतीश कुमार भाजपा से आने वाले विजय कुमार सिन्हा को स्पीकर के पद से हटाने के बाद ही बहुमत साबित करना चाहते थे और इसलिए फ्लोर टेस्ट में देरी हुई है। RJD के विधायकों ने सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी भेजा था। चूंकि स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर पेश किए जाने के दो हफ्ते बाद ही वोटिंग हो सकती है, इसलिए फ्लोर टेस्ट को भी दो हफ्ते बाद रखा गया। सिन्हा इस प्रस्ताव को खारिज कर चुके हैं।
पिछले हफ्ते ही हुआ था कैबिनेट का गठन, RJD के सबसे अधिक मंत्री
बता दें कि नीतीश ने पिछले हफ्ते ही अपनी नई कैबिनेट का गठन किया था। इसमें RJD के 16, JDU के 11, कांग्रेस के दो, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के एक और एक निर्दलीय विधायक को जगह दी गई है। सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते RJD को सबसे अधिक मंत्री पद मिले हैं, हालांकि गृह विभाग नीतीश ने अपने पास ही रखा है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को स्वास्थ्य, शहरी विकास और ग्रामीण विकास समेत कई मंत्रालय दिए गए हैं।
कई महीनों की तकरार के बाद नीतीश ने तोड़ा था भाजपा से गठबंधन
बता दें कि पिछले कुछ महीनों से चले आ रहे तकरार के बाद नीतीश ने 9 अगस्त को भाजपा से गठबंधन तोड़ते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने मुख्य विपक्षी पार्टी RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली। 10 अगस्त को उन्होंने रिकॉर्ड आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ RJD नेता तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने 2017 के बाद महागठबंधन में वापसी की है।
नीतीश ने भाजपा से गठबंधन क्यों तोड़ा?
यूं तो नीतीश और भाजपा के संबंध 2019 लोकसभा चुनाव से ही सहज नहीं रहे हैं, लेकिन मौजूदा घटनाक्रम नीतीश के उत्तराधिकारी रहे आरसीपी सिंह को लेकर पैदा हुआ। JDU का आरोप है कि महाराष्ट्र में शिवसेना की तरह भाजपा सिंह के द्वारा JDU को भी तोड़ने की कोशिश कर रही थी और नीतीश को इसकी भनक लग गई थी। इसके अलावा नीतीश अमित शाह के बिहार को रिमोट कंट्रोल करने की कोशिश करने से भी नाराज थे।