नाराज नीतीश का भाजपा को उसी की भाषा में जवाब, कैबिनेट विस्तार में दिया एक पद
केंद्रीय मत्रिमंडल में केवल एक स्थान मिलने से नाराज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी को उसी की भाषा में जवाब दिया है। बिहार सरकार के कैबिनेट विस्तार में उन्होंने अपनी सहयोगी भाजपा को मात्र एक स्थान दिया है। मोदी-शाह के नेतृत्व वाली भाजपा और नीतीश कुमार के बीच रहे उतार-चढ़ाव वाले इतिहास के ये तनाव दोनों सहयोगियों के बीच दूरी पैदा कर सकता है। आइए आपको पूरा मामला बताते हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, रविवार को बिहार सरकार ने अपना बहुप्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार किया। मुख्यमंत्री नीतीश ने इस विस्तार में 8 पद अपनी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्यों को दिए, जबकि भाजपा को केवल एक पद दिया गया। कैबिनेट विस्तार पर ट्वीट करते हुए उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील मोदी ने ट्वीट किया, "नीतीश कुमार ने भाजपा को खाली मंत्री पद भरने की पेशकश की है। भाजपा ने इसे भविष्य में भरने का फैसला किया है।"
इस बात से नाराज हैं नीतीश
नीतीश और भाजपा के इस टकराव की जड़ केंद्रीय मंत्रिमंडल के चयन तक जाती हैं। अपने दम पर 303 सीटें पाने के बाद भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मंत्रिमंडल में NDA सहयोगियों को खास महत्व नहीं दिया। भाजपा ने हर NDA सहयोगी को उसकी सीटों से परे मंत्रिमंडल में एक पद दिया है। नीतीश को इस बात से नाराज बताया जा रहा है और इसके विरोध में उन्होंने मंत्रिमंडल में कोई पद नहीं लिया।
नीतीश ने कहा, प्रतीकात्मक हिस्से की इच्छा नहीं
नीतीश ने नाराजगी की खबरें सामने आने के बाद इन्हें नकारा था। उन्होंने कहा था, "हमने बिहार के भले के लिए गठबंधन किया था। हमें प्रतीकात्मक हिस्से की कोई इच्छा नहीं है। हमें भाजपा को बता दिया कि हम वैसे भी उनके साथ हैं।" हालांकि बताया जा रहा है कि नीतीश ने भाजपा को साफ कर दिया कि यह स्वीकार नहीं है और उनकी पार्टी ने जिन 17 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 16 पर जीत दर्ज की।
दिल खोल सीट देने वाली भाजपा ने पद देते समय बरती कोताही
वहीं, भाजपा नेता भी निजी बातचीत में इस बात को मानते हैं कि स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद सहयोगियों के साथ भाजपा के बर्ताव से नीतीश नाराज हैं। जिस भाजपा ने चुनाव से पहले सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे में उदारता दिखाई और उन्हें उम्मीद से अधिक सीटें दीं, उसी भाजपा ने पूर्ण बहुमत मिलने पर सहयोगियों को सरकार में बस प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व दिया है, जिससे कई सहयोगी नाराज हैं।
नीतीश ने दिए संकेत, विधानसभा चुनाव पर हैं नजरें
नीतीश ने अपने इस कदम से भाजपा को यह संकेत भी दे दिया है कि उनकी नजरें विधानसभा चुनाव पर हैं। कैबिनेट विस्तार में उन्होंने महादलित, अत्यधिक पिछड़े वर्ग और अगड़ी जातियों के 2-2 विधायकों को जगह दी है, वहीं यादव और कुशवाहा समुदाय के एक-एक विधायक को मंत्री पद दिया गया है। साफ है कि वह राज्य के जातीय समीकरण को साधने की कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि बिहार में अगले साल 2020 में चुनाव होने हैं।