बिहार: नीतीश कुमार और भाजपा में तनातनी के बीच क्या है विधानसभा की स्थिति?
बिहार की सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) और उसकी सहयोगी भाजपा के बीच मनमुटाव उच्च स्तर पर पहुंच गया है। हालात ऐसे बन गए हैं कि यह गठबंधन कभी भी टूट सकता है और नीतीश कुमार मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट के साथ मिलकर नई सरकार बना सकते हैं। ऐसे में आइये जाते हैं कि इस गहमागहमी की स्थिति में बिहार विधानसभा की स्थिति क्या है।
नीतीश, RJD और कांग्रेस ने मंगलवार को बुलाई विधायक दल की बैठक
रिपोर्ट्स के अनुसार, नीतीश कुमार ने मंगलवार को JDU के सभी विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। इसके अलावा RJD और कांग्रेस ने भी अपने-अपने विधायक दलों की बैठक बुलाई है। इधर, NDA का घटक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने भी अपने विधायकों की बैठक बुलाई है। कयास हैं कि इन बैठकों के बाद स्थिति साफ होगी और तीनों पार्टियां 11 अगस्त से पहले एक जाजम पर आकर नई सरकार बना सकती हैं।
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी RJD
2020 के विधानसभा चुनाव में RJD सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के चुनाव में NDA गठबंधन ने कुल 125 सीटें जीती थीं। इनमें भाजपा ने 74, JDU ने 43, विकासशील इंसान पार्टी और हिंदुस्तान आवाम पार्टी (सेक्युलर) ने चार-चार सीटें जीती थीं। इसी तरह RJD ने सबसे अधिक 75, कांग्रेस ने 19, CPI(ML-लिबरेशन) ने 12 और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी।
वोट प्रतिशत में भी सबसे आगे है RJD
2020 विधानसभा चुनाव के वोट शेयर की बात करें तो इसमें भी RJD 23.1 प्रतिशत के साथ सबसे आगे खड़ी है। इसी तरह भाजपा का वोट शेयर प्रतिशत 19.5, JDU को 15.4 प्रतिशत और कांग्रेस का महज 9.5 प्रतिशत ही रहा है।
वर्तमान में क्या है विधानसभा की स्थिति?
बिहार विधानसभा में वर्तमान में RJD के सबसे अधिक 79 विधायक हैं। इसका कारण है कि पिछले महीनें भविष्य को सुरक्षित करने के लिए AIMIM के पांच में से चार विधायकों ने RJD का दामन थाम लिया था। इसी तरह भाजपा के पास 77, JDU के पास 45, कांग्रेस के पास 19, कम्यूनिस्ट पार्टी के पास 12, AIMIM के पास एक, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के चार और एक निर्दलीय विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत है।
कैसे बन रहे हैं नए समीकरण?
वर्तमान में JDU को सरकार बनाने के लिए 77 विधायकों की जरूरत है। यदि RJD समर्थन करती है तो इस गठबंधन के पास 124 विधायक हो जाएंगे, जो बहुमत से अधिक है। इस गठबंधन में कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टी भी शामिल हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस के 19 और कम्यूनिस्ट पार्टी के 12 अन्य विधायकों को मिलाकर गठबंधन के पास कुल 155 विधायक हो जाएंगे। इसी तरह अन्य दलों के समर्थन की भी उम्मीद है।
भाजपा से क्यों नाराज हुए नीतीश कुमार?
भाजपा से नीतीश कुमार की नाराजगी के कई कारण हैं। हालिया कारणों की बात करें तो नीतीश के करीबी सूत्रों के अनुसार, बिहार भाजपा के नेता नीतीश पर लगातार हमला कर रहे हैं, लेकिन फिर भी केंद्रीय नेतृत्व इस पर चुप है, इससे नीतीश बेहद नाराज हैं। आरसीपी सिंह का मुद्दा नीतीश की नाराजगी का दूसरा कारण है। सिंह एक समय नीतीश के उत्तराधिकारी थे, लेकिन भाजपा से उनकी नजदीकी ने उन्हें नीतीश से दूर कर दिया।
JDU का भाजपा पर पार्टी को तोड़ने की कोशिश करने का भी आरोप
JDU ने इशारों ही इशारों में भाजपा पर आरसीपी सिंह के जरिए पार्टी को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि 2020 के चिराग पासवान मॉडल पर JDU को तोड़ने की कोशिश की गई।
भाजपा से आने वाले विधानसभा स्पीकर से भी नाराज हैं नीतीश
नीतीश भाजपा से संबंध रखने वाले बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा से भी काफी नाराज हैं। नीतीश कई बार सिन्हा पर आपा खो चुके हैं और उन पर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े करके संविधान का खुलेआम उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। विधानसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से संबंधित स्पीकर के आमंत्रण पत्र पर नीतीश का नाम नहीं होने से भी स्थिति खराब हुई। नीतीश स्पीकर पद से सिन्हा की बर्खास्तगी चाहते हैं।
2020 विधानसभा चुनाव से ही सहज नहीं हैं दोनों पार्टियों के रिश्ते
गौरतलब है कि 2020 विधानसभा चुनाव से ही JDU और भाजपा के रिश्ते सहज नहीं चल रहे हैं। इस चुनाव में भाजपा ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के जरिए नीतीश की JDU को कमजोर करने का काम किया था। नीतीश ने इसके लिए भाजपा को माफ नहीं किया है और समय-समय पर अलग-अलग मुद्दों पर उससे बदला लेते रहते हैं। इसी से दोनों पार्टियों का टकराव पैदा होता है।