#NewsBytesExplainer: केजरीवाल के बाहर आने से हरियाणा विधानसभा चुनावों पर क्या होगा असर?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। अब उनका जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। केजरीवाल को जमानत ऐसे वक्त मिली है, जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव सिर पर है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा है कि केजरीवाल हरियाणा चुनाव में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालेंगे। आइए जानते हैं कि केजरीवाल के बाहर आने से हरियाणा चुनावों पर क्या असर हो सकता है।
हरियाणा में स्टार प्रचारकों की सूची में शीर्ष पर हैं केजरीवाल
केजरीवाल खुद हरियाणा के रहने वाले हैं और राज्य में AAP के स्टार प्रचारकों की सूची में सबसे पहला नाम उन्हीं का है। AAP के राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "केजरीवाल जी निश्चित रूप से हरियाणा में राजनीतिक समीकरण बदल देंगे। AAP निश्चित रूप से राज्य में सरकार बनाने की ओर अग्रसर है, जैसा कि हमने दिल्ली और पंजाब में किया था। हम जल्द ही हरियाणा के लिए उनके अभियान कार्यक्रम का विवरण जारी करेंगे।"
बंट सकते हैं एंटी इंनकंबैंसी वोट
हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। आमतौर पर एंटी इनकंबैंसी का फायदा हमेशा विपक्ष को मिलता रहा है। अभी तक माना जा रहा था कि ये वोट कांग्रेस को मिल सकते हैं, लेकिन अब केजरीवाल के आने से AAP भी मजबूती से दावेदारी पेश करेगी। ऐसे में एंटी इनकंबैंसी वोट बंट सकते हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में भी ऐसा ही हुआ था। तब एंटी इनकंबैंसी वोट कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी (JJP) में बंट गया था।
कांग्रेस को कितना नुकसान हो सकता है?
कांग्रेस को उम्मीद थी कि इस बार सीधा मुकाबला उसके और भाजपा के बीच रहेगा। अब AAP के आने से ऐसा नहीं हो पाएगा। पहले कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन की भी चर्चाएं थीं, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन सकी। पहले AAP 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी, लेकिन अब उसने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं। ऐसे में कांग्रेस को कुछ नुकसान हो सकता है।
भाजपा को कितना हो सकता है नुकसान?
AAP ने बागियों को टिकट देकर भाजपा की परेशानियां बढ़ाई हैं। भाजपा के 5 बागियों को AAP ने मैदान में उतारा है। इसके अलावा शहरी इलाकों में भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। AAP भी शहरी इलाकों में ही पकड़ बना रही है। ऐसे में संभव है कि AAP शहरी मतदाताओं में सेंध लगा सकती है। खासतौर से दिल्ली से सटे इलाकों में AAP भाजपा-कांग्रेस दोनों की परेशानियां बढ़ा सकती है।
हरियाणा के किन इलाकों में AAP का प्रभाव है?
दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आते हैं। माना जाता है कि दिल्ली में सरकार के चलते पार्टी ने यहां जनाधार तैयार किया है। निर्दलीय और क्षेत्रीय पार्टियों के प्रभाव वाले जिले हिसार में भी AAP की अच्छी पकड़ मानी जाती है। NCR से सटे कुरुक्षेत्र और करनाल और NCR में शामिल सोनीपत और पानीपत में भी AAP जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
केजरीवाल को 'हरियाणा का लाल' बता रही AAP
केजरीवाल को जमानत मिलते ही AAP ने से एक पोस्टर शेयर किया है। इसमें केजरीवाल की तस्वीर के साथ लिखा है, 'हरियाणा के लाल को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत।' AAP प्रचार अभियान में लगातार केजरीवाल को हरियाणा का बेटा बताने में जुटी है। पार्टी कह रही है कि अगर आपका बेटा दिल्ली का विकास कर सकता है तो आपका क्यों नहीं? हरियाणा केजरीवाल का गृह राज्य है, ऐसे में इस मुद्दे को पार्टी और भुना सकती है।
हरियाणा में एक ही चरण में होगा मतदान
हरियाणा में सभी 90 विधानसभा सीटों पर 5 अक्टूबर को मतदान और 8 अक्टूबर को मतगणना होगी। पहले यहां 1 अक्टूबर को मतदान और 4 अक्टूबर को मतगणना होनी थी, लेकिन लंबी छुट्टियों का हवाला देकर तारीख आगे बढ़ाई गई है। पिछले चुनावों में भाजपा को 40 सीटें मिली थीं और उसने 10 सीटें जीतने वाली JJP के साथ सरकार बनाई थी। कांग्रेस को 31, INLD और HLP को 1-1 और 7 सीटों पर निर्दलीय जीते थे।