अरविंद केजरीवाल फिलहाल जेल में रहेंगे, ED की याचिका पर हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
क्या है खबर?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फिलहाल जेल में ही रहना होगा।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
कोर्ट ने कहा कि वह ED की स्थगन याचिका पर 2 से 3 दिन में आदेश पारित करेगा और तब तक निचली अदालत के आदेश पर रोक रहेगी।
यानी फिलहाल केजरीवाल को जेल में ही रहना होगा।
जमानत
राउज एवेन्यू कोर्ट से मिली थी जमानत
गुरुवार शाम यानी 20 जून को ही केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिली थी।
सुनवाई के दौरान ED ने कहा था कि उसे जमानत के विरोध में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए 48 घंटों का समय चाहिए, लेकिन कोर्ट ने ये मांग खारिज कर दी थी।
इसके बाद संभावना जताई जा रही थी कि केजरीवाल आज जेल से बाहर आ सकते हैं, लेकिन उससे पहले ही ED ने हाई कोर्ट का रुख कर लिया।
दलील
ED पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण- केजरीवाल
केजरीवाल की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील देते हुए कहा, "जमानत की सुनवाई कैसी होनी चाहिए, इस बारे में गलत धारणा है। सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार कर रहा है।"
उन्होंने कहा, "अगर गिरफ्तारी गलत है, तो बाकी सभी कदम अप्रासंगिक हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अंतिम शब्द हैं, जो जुलाई में आएगा। यह निंदनीय है। यह कभी भी सरकारी अधिकारी की ओर से नहीं आना चाहिए था। ED पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है।"
सिंघवी
सिंघवी बोले- ED के पास कोई मामला ही नहीं
सिंघवी ने कहा, "ED के पास कोई मामला नहीं है। फैसले में जो विकृति वे बता रहे हैं, वह विकृति की एक नई परिभाषा है। यह कुछ और नहीं, बल्कि गलती और एक अलग नजरिया है।"
उन्होंने कहा, "एक अलग नजरिया होना, विकृति नहीं है। तथ्य यह है कि CBI या ED के अनुसार केजरीवाल आरोपी नहीं थे। 2022 में 4 बयान दिए गए, जिनमें से किसी में भी केजरीवाल का नाम नहीं है।"
जमानत
जमानत देने और रद्द करने में 2 बहुत अलग बातें- सिंघवी
सिंघवी ने कहा, "कानून स्पष्ट है कि जमानत देने और रद्द करने में 2 बहुत अलग बातें हैं। आदेश विकृत है और इसलिए एक छोटे पहलू तक सीमित है। ED की भी विकृतियों की अपनी समझ है। हर बार यह कहा जाता है कि कोर्ट ने उस तर्क को नोट नहीं किया या विचार नहीं किया। कोर्ट को निबंध लिखने की जरूरत नहीं है। मैं अलग तरह और आप अलग तरह से लिख सकते हो।"
ED
ED बोली- कोर्ट ने हमारी दलीलों पर ध्यान नहीं दिया
ED की ओर से कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता एसवी राजू ने कहा, "ट्रायल कोर्ट ने ED की दलीलों पर ध्यान नहीं दिया। मैं हैरान हूं कि लिखित नोट जमा करने के बावजूद कोर्ट कह रहा है कि ED मामले की जांच नहीं कर पाया।"
उन्होंने कहा, "निचली कोर्ट के आदेश में कहा गया कि ED प्रत्यक्ष सबूत देने में विफल रहा। हमने प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है। केजरीवाल के खिलाफ सीधे सबूत पेश न करने पर कोर्ट की टिप्पणी गलत है।"
सबूत
हमने प्रत्यक्ष सबूत पेश किए- ED
ED ने कहा, "गवाहों के बयान में खुलासा हुआ है कि केजरीवाल ने कहा कि मुझे 100 करोड़ रुपये दो। यह अपराध की आय ही है। हमने 45 करोड़ का पता लगा लिया है। हमने दिखाया है कि गोवा चुनाव में पैसे का इस्तेमाल कैसे किया गया। फिर भी कोर्ट कहता है कि ED के पास दिखाने के लिए ठोस सबूत नहीं हैं। हमारा मामला यह है कि केजरीवाल 2 मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी हैं।"
आधार
ED बोली- क्या मुख्यमंत्री होना जमानत का आधार
एसवी राजू ने कहा, "केजरीवाल परोक्ष रूप से उत्तरदायी है, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP) मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की दोषी है। AAP के संचालन के लिए जिम्मेदार हर व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी होगा। क्या संवैधानिक कुर्सी पर बैठना जमानत का आधार है?"
उन्होंने कहा, "इसका मतलब है कि हर मंत्री को जमानत मिलेगी। आप मुख्यमंत्री हैं, इसलिए आपको जमानत मिलेगी? इससे ज्यादा विकृत कुछ नहीं हो सकता। अपराध की गंभीरता देखा जाना जरूरी है।"
मामला
क्या है शराब नीति का मामला?
दिल्ली सरकार ने नवंबर, 2021 में नई शराब नीति लागू की थी। इसमें शराब के ठेके निजी शराब कंपनियों को दिए गए थे।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस नीति में भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए इसकी CBI से जांच कराने की सिफारिश की। बाद में ED भी जांच में शामिल हो गई।
आरोप है कि दिल्ली सरकार ने शराब कंपनियों से रिश्वत लेकर उन्हें नीति के जरिए लाभ पहुंचाया और शराब के ठेके दिए।