कर्नाटक: भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है JDS, गठबंधन की अटकलें तेज
कर्नाटक चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद जनता दल सेक्युलर (JDS) के एक बार फिर भाजपा के साथ गठबंधन करने की अटकलें तेज हो गई हैं। बतौर रिपोर्ट्स, JDS ने कर्नाटक भाजपा के नेताओं के साथ संपर्क किया है और दोनों पार्टियां अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती हैं। यदि JDS और भाजपा का गठबंधन होता है तो यह विपक्षी एकता के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
क्यों लगाई जा रहीं गठबंधन की अटकलें?
JDS और भाजपा के संभावित गठबंधन के कई संकेत सामने आए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री और JDS प्रमुख एचडी देवगौड़ा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे, जबकि अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसका बहिष्कार किया था। इसके अलावा उन्होंने ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग के बीच उनका पक्ष लिया था। देवगौड़ा ने कहा था कि हादसे की जांच चल रही है और वैष्णव का इस्तीफा मांगना सही नहीं है।
कर्नाटक में रह चुकी है JDS-भाजपा के गठबंधन की सरकार
कर्नाटक में एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे भाजपा और JDS ने पहली बार फरवरी, 2006 से अक्टूबर, 2007 के बीच करीब 20 महीने सरकार चलाई थी। एचडी कुमारस्वामी के कांग्रेस के नेतृत्व वाली धरम सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ऐसा हुआ था। भाजपा-JDS सरकार में कुमारस्वामी मुख्यमंत्री रहे थे, जबकि बीएस येदियुरप्पा उपमुख्यमंत्री रहे थे। दोनों पार्टियों में मतभेद के बाद अक्टूबर, 2007 में सरकार गिर गई थी, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।
कुमारस्वामी ने अटकलों पर क्या प्रतिक्रिया दी?
भाजपा के साथ गठबंधन की अटकलों पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी पिछले 2 दशकों से दोनों राष्ट्रीय पार्टियों (भाजपा और कांग्रेस) के खिलाफ लड़ रही है और यह चीज आगे भी जारी रखेगी। मुझे नहीं पता कि कौन किस सन्दर्भ में इस तरह की खबरों को फैला रहा है।" उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को किसी भी पार्टी से कोई निमंत्रण नहीं मिला है।
दोनों पार्टियों के लिए क्या हैं गठबंधन के मायने?
विशेषज्ञों के मुताबिक, भाजपा और JDS के लिए गठबंधन के अपने-अपने मायने हैं। JDS कर्नाटक चुनाव में 2 दशकों में अपने सबसे खराब प्रदर्शन के बाद खोए जनाधार को हासिल करना चाहती है, वहीं भाजपा भी दक्षिण भारत में अपने एकमात्र गढ़ में अपनी स्थिति को दोबारा मजबूत करना चाहती है। दोनों पार्टियों को लगता है कि वो साथ आकर कर्नाटक में पिछले 34 वर्षों में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाली कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में हरा सकती हैं।
कर्नाटक चुनाव में JDS को मिली थीं मात्र 19 सीटें
कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों के नतीजे 13 मई को घोषित हुए थे, जिसमें कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने 66 सीटें जीती थीं, जबकि JDS सिर्फ 19 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हो पाई थी।