2024 में विपक्ष की सरकार बनी तो सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देंगे- नीतीश कुमार
क्या है खबर?
2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा दांव खेला है।
आज एक सभा में बोलते हुए नीतीश ने वादा किया कि अगर आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश में गैर-भाजपा विपक्षी पार्टियों की सरकार बनती है तो सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा दिया जाएगा।
विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र सरकार से विकास और अन्य योजनाओं के लिए अतिरिक्त आर्थिक मदद मिलती है।
वादा
क्या बोले नीतीश?
एक योजना के शुभारंभ के लिए हुए कार्यक्रम में बोलते हुए नीतीश ने कहा, "अगर हमें (विपक्ष) सरकार बनाने का मौका मिला तो हम पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा जरूर देंगे। मैं केवल बिहार के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, बल्कि उन राज्यों के बारे में भी बात कर रहा हूं जिन्हें विशेष दर्जा मिलना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि अगर बिहार को विशेष दर्जा मिल गया होता तो वह अधिक विकास कर सकता था।
लाभ
विशेष दर्जे से राज्यों को क्या लाभ मिलता है?
विशेष दर्जा मिलने में केंद्रीय योजनाओं में होने वाले खर्चे में केंद्र और राज्य का अनुपात 90:10 हो जाता है। इसके अलावा उन्हें अन्य तरह के आर्थिक लाभ भी मिलते हैं।
अभी देश में 11 राज्यों को विशेष दर्जा मिला हुआ है। इनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड शामिल हैं।
संविधान में राज्यों को विशेष दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
विपक्षी एकजुटता
विपक्ष को एकजुट करने के लिए दिल्ली दौरे पर गए थे नीतीश
बता दें कि नीतीश ने ये बयान ऐसे समय पर दिया है जब वह हाल ही में दिल्ली का दौरा करके लौटे हैं जहां वो विपक्ष के कई बड़े नेताओं से मिले थे।
इन नेताओं में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार और जनता दल सेक्युलर (JDS) प्रमुख एचडी कुमारस्वामी आदि शामिल रहे।
वह लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा विरोधी सभी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं।
अटकलें
नीतीश के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने की अटकलें हैं तेज
गौरतलब है ये अटकलें तेज हैं कि नीतीश कुमार 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्ष के प्रधानमंत्री उम्मीदवार हो सकते हैं।
हालांकि नीतीश खुद कई बार कह चुके हैं कि उनका एकमात्र लक्ष्य विपक्ष को एकजुट करना है और उनका खुद को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन उनके और उनकी पार्टी के बयानों से कुछ अलग ही संकेत मिल रहे हैं।
विशेष दर्जे के दांव को इसी कड़ी में देखा जा रहा है।