कौन हैं भूपेंद्र चौधरी और उन्हें उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाए जाने के क्या मायने?
क्या है खबर?
भाजपा ने आज बड़ा ऐलान करते हुए भूपेंद्र सिंह चौधरी को अपनी उत्तर प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया।
चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय से आते हैं और अभी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।
माना जा रहा है कि भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह कदम उठाया है।
आइए जानते हैं कि भूपेंद्र चौधरी कौन हैं और उन्हें उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के क्या मायने हैं।
शुरूआत
मुरादाबाद के एक किसान परिवार में जन्मे थे भूपेंद्र चौधरी
भूपेंद्र सिंह चौधरी का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के महेंद्री सिकंदरपुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी शुरूआती शिक्षा गांव के ही एक स्कूल से हुई और उन्होंने 12वीं मुरादाबाद के आरएन इंटर कॉलेज से की।
चौधरी छात्र जीवन में ही विश्व हिंदू परिषद (VHP) से जुड़े गए थे और 1990 में VHP की मुरादाबाद जिला इकाई के अध्यक्ष भी रहे।
इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए।
राजनीतिक सफर
1991 में भाजपा में शामिल हुए चौधरी
चौधरी 1991 में भाजपा में शामिल हुए और दो साल के अंदर ही 1993 में ही पार्टी की जिला कार्यकारिणी के सदस्य बन गए। अगले ही साल वह मुरादाबाद भाजपा के कोषाध्यक्ष भी बन गए।
1995 में उन्हें जिले का महामंत्री बना दिया गया और फिर 1996 से 2000 तक वह पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे।
चौधरी इसी तरह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए और 2007 में उन्हें पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश का क्षेत्रीय मंत्री बना दिया गया।
अहम जिम्मेदारियां
उत्तर प्रदेश सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं चौधरी
चौधरी दो बार उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सबसे पहले 2017 में उन्हें राज्य मंत्री के तौर पर पंचायती राज और निर्माण विभाग का स्वतंत्र प्रभार दिया गया और फिर 2019 में उन्हें पंचायती राज का कैबिनेट मंत्री बना दिया गया।
इस साल मार्च में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनने पर भी उन्हें पंचायती राज मंत्री बनाया गया।
वह 2016 से विधानसभा परिषद के सदस्य हैं और उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा।
जानकारी
मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं चौधरी
चौधरी लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं और पार्टी ने 1999 लोकसभा चुनाव में उन्हें संभल सीट से समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मैदान में उतारा था। हालांकि वह यह चुनाव हार गए।
अहमियत
भाजपा ने चौधरी को अध्यक्ष क्यों बनाया?
चौधरी जाट समुदाय से आते हैं जिनका पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा दबदबा है और वह कई सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं।
हालांकि पिछले कुछ समय से जाट उससे छिड़के हुए हैं और सपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल इसका फायदा उठाकर कुछ हद तक अपना पुराना आधार वापस पाने में कामयाब रही है।
ऐसे में भाजपा चाहेगी कि वह चौधरी के जरिए सभी जाटों को अपने पीछे गोलबंद करके 2024 के लिए सभी खतरों को समाप्त कर सके।
अन्य कारण
मुरादाबाद में पिछले प्रदर्शन से भी है चौधरी को अध्यक्ष बनाए जाने का संबंध
चौधरी को अध्यक्ष बनाने के पीछे एक गणित मुरादाबाद में भाजपा के पुराने प्रदर्शन से भी जुड़ा है।
दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश में जो 16 सीटें हारी थीं, उनमें से सात अकेले मुरादाबाद और उसके आसपास के इलाकों की थीं।
वह मुरादाबाद मंडल की तो सभी छह सीटों को हार गई थी, वहीं सहारनपुर सीट पर भी उसकी हार हुई थी।
मुरादाबाद से आने वाले चौधरी को अध्यक्ष बनाकर भाजपा इस गणित को बदलना चाहती है।
उत्तर प्रदेश की अहमियत
न्यूजबाइट्स प्लस
उत्तर प्रदेश राजनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण राज्य है और यहां 80 लोकसभा सीटें हैं जो देश में सबसे अधिक हैं।
लोकसभा चुनावों का इतिहास बताता है कि उत्तर प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन किए बिना केंद्र में सरकार बनाना लगभग असंभव होता है। इसी कारण यह कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ होते हुए जाता है।
भाजपा 2014 से राज्य में शानदार प्रदर्शन कर रही है और दो लोकसभा चुनाव और दो विधानसभा चुनाव जीत चुकी है।