शराब नीति मामला: अरविंद केजरीवाल के PA से पूछताछ, सबूत नष्ट करने का आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज नई शराब नीति में कथित घोटाले से संबंधित मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक (PA) बिभव कुमार से पूछताछ की। ED ने समन भेजकर कुमार को आज दिल्ली स्थित अपने कार्यालय पर तलब किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका बयान प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दर्ज किया गया। कुमार पर मामले में सबूत नष्ट करने का आरोप है।
कुमार पर क्या-क्या आरोप हैं?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ED का आरोप है कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और बिभव कुमार ने इस कथित घोटाले के दौरान ली गई रिश्वत के सबूतों को छिपाने के लिए 170 मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था या उन्हें नष्ट कर दिया था। इन दोनों के साथ ED ने कुल 36 आरोपियों पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया है। उसका दावा है कि मामले में ली गई रिश्वत का गोवा विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल हुआ।
मामले में केजरीवाल का भी आ चुका है नाम
बता दें कि शराब नीति मामले में केजरीवाल का नाम भी आ चुका है और ED ने अपनी दूसरी चार्जशीट में उनके नाम का उल्लेख किया था। चार्जशीट में कहा गया था कि केजरीवाल ने एक आरोपी विजय नायर के जरिए एक अन्य आरोपी समीर महेंद्रू के साथ वीडियो कॉल की थी, जिसमें उन्होंने विजय को अपना आदमी बताया था। AAP के कम्युनिकेशन प्रभारी नायर पर दक्षिण के नेताओं से रिश्वत लेने का आरोप है।
क्या है दिल्ली का नई शराब नीति घोटाला?
AAP के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने 2021 में शहर में नई शराब नीति लागू की थी, जिसमें सरकारी ठेकों को बंद कर शहर में शराब की निजी दुकानें खोली गई थीं। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस नीति में अनियमितताओं की आशंका जताते हुए मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराने की सिफारिश की थी। CBI की FIR के आधार पर ही ED ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है।
मामले में मनीष सिसोदिया पर कई गंभीर आरोप
मामले में सिसोदिया पर कमीशन लेकर शराब की दुकानों का लाइसेंस लेने वालों को अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप है। उन पर विदेशी शराब की कीमत में बदलाव करने और बीयर से आयात शुल्क हटाने का आरोप है, जिसके कारण विदेशी शराब और बीयर सस्ती हो गईं और राजकोष को नुकसान हुआ। सिसोदिया पर उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना कोविड महामारी का हवाला देकर 144.36 करोड़ रुपये की निविदा लाइसेंस फीस माफ करने का आरोप भी है।