एक लाख करोड़ रुपये जब्त कर चुकी ED, इस नकदी का होता क्या है?
देश के अलग-अलग हिस्सों में छापेमारी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) लगातार चर्चा में है। एजेंसी ने शनिवार को ही कोलकाता में छापेमारी कर 17 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की थी। अलग-अलग मामलों में एजेंसी इस साल मार्च तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त कर चुकी थी, जिनमें से 57,000 करोड़ रुपये बैंक फ्रॉड और पोंजी स्कीम के थे। आइये जानते हैं कि जब्ती के बाद इस पैसे का क्या होता है।
जब्ती के बाद पैसे का क्या होता है?
छापेमारी में नकदी बरामद होने के बाद इसे एजेंसी के कार्यालय ले जाया जाता है। दरअसल, ED और CBI जैसी केंद्रीय एजेंसियों को यह अधिकार प्राप्त है कि वे मनी लॉन्ड्रिंग, घोटाले, कर चोरी और अनियमितताओं के मामले में चल और अचल संपत्ति को जब्त कर सकती हैं। इसके बाद जब्त संपत्ति या नकदी की गणना कर इसका पंचनामा तैयार किया जाता है, जिसमें नकदी और दूसरी संपत्तियों की पूरी जानकारी भरी जाती है।
दोषी साबित होने पर सरकार के पास जाती है रकम
अगर नकदी का मामला है तो पंचनामा तैयार होने के बाद पूरी रकम को सरकारी क्षेत्र के बैंक में जमा कर दिया जाता है। अगर जब्त नकदी या संपत्ति पर किसी तरह के निशान या सबूत होते हैं तो उन्हें सीलबंद लिफाफे में रखकर अदालत के सामने पेश किया जाता है। अगर जिस व्यक्ति के पास से नकदी जब्त होती है, वह दोषी पाया जाता है तो ED पूरा पैसा सरकार को ट्रांसफर कर देती है।
बैंक धोखाधड़ी के मामले में क्या होता है?
अगर बैंक से लोन लेकर उसके गबन का मामला है तो एजेंसी दोषी व्यक्ति की चल-अचल संपत्ति जब्त कर लेती है। फिर इसे बेचकर बैंकों को रकम लौटा दी जाती है। अभी तक एजेंसी ऐसे मामलों में करीब 23,000 करोड़ रुपये वापस लौटा चुकी है।
अगर कोई व्यक्ति निर्दोष साबित हो जाए तो?
1995 में ED ने एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 7.95 लाख रुपये जब्त कर लिए थे। ED की इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए उस व्यक्ति ने अदालतों का दरवाजा खटखटाया। 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे राहत देते हुए कहा कि ED की कार्रवाई गलत थी। कोर्ट ने ED को जब्त की गई रकम को 6 प्रतिशत ब्याज दर के साथ वापस लौटाने का आदेश दिया था।
ये हुई नकदी की बात, संपत्ति कब जब्त की जाती है?
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अगर आपराधिक गतिविधियों से पैसा कमाया गया है तो इसे ED के निदेशक के आदेश पर जब्त किया जा सकता है। अगर जब्ती के लिए पैसा उपलब्ध नहीं है तो उतनी कीमत की आरोपी की संपत्ति जब्त कर ली जाती है। संपत्ति जब्त करने के लिए ED का अस्थायी आदेश 180 दिनों तक लागू रहता है। इस दौरान PMLA कानून के तहत ऊपरी अथॉरिटी से इसकी पुष्टि करवानी होती है।
संपत्ति की जब्ती को लेकर कानून क्या कहता है?
संपत्ति जब्त करने का उद्देश्य होता है कि आरोपी उससे मिलने वाले फायदों का लाभ न उठा सके। फैसला आने तक आरोपी उस संपत्ति को इस्तेमाल नहीं कर सकता। हालांकि, आमतौर पर फैसला आने तक संपत्ति को सील नहीं किया जाता है। अधिकतर मामलों में आरोपी अपीलीय प्राधिकरण या अदालतों से स्टे लाकर संपत्ति को ED की जब्ती से छुड़वा लेता है और मामले में फैसला आने तक उसका इस्तेमाल करता रहता है।