दिल्ली सरकार की नई शराब नीति पर हो रहा पूरा विवाद क्या है?
दिल्ली सरकार की नई शराब नीति विवादों में हैं और इसके कारण सरकार को छह महीने के लिए पुरानी शराब नीति पर लौटना पड़ा है। पुरानी नीति पर लौटने के बाद से अब आज से दिल्ली में केवल सरकारी ठेकों पर ही शराब मिलेगी। विवादों में चल रही दिल्ली सरकार की ये नई शराब नीति क्या है और इस पर सवाल क्यों खड़े किए जा रहे हैं, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
सबसे पहले जानें क्या थी दिल्ली सरकार की नई शराब नीति
अपना राजस्व बढ़ाने और शराब माफिया और नकली शराब पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने नवंबर, 2021 में नई शराब नीति लागू की थी। इसके जरिए सरकार ने अपनी सभी ठेके बंद कर दिए थे और शहर में केवल शराब के निजी ठेके और दुकानें रह गई थीं। इन दुकानों के लिए दोबारा से नए लाइसेंस जारी किए गए थे। इसके अलावा सरकार ने उन्हें डिस्काउंट पर शराब बेचने की अनुमति भी दी थी।
बिना MCD की अनुमति के दुकान खोलने की दी थी अनुमति
दिल्ली सरकार ने नई नीति में दिल्ली नगर निगम (MCD) के विरोध के कारण कुछ इलाकों में दुकानें खुलने में परेशानी होने की लाइसेंसधारकों की समस्या को भी सुलझाया था। सरकार ने उन्हें बिना अनुमति के पुनर्विकास क्षेत्रों में दुकान खोलने की अनुमति दी थी।
क्यों विवादों में आई नई शराब नीति?
दिल्ली सरकार की यह नीति पहले ही दिन से किसी न किसी कारण से विवादों में बनी हुई है। भाजपा और कांग्रेस ने सरकार पर शराब को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि नई नीति के बाद स्कूल, मंदिरों और आवासीय इलाकों के पास शराब के ठेके खोले गए हैं। दोनों पार्टियों ने आबकारी विभाग संभाल रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर नई नीति के जरिए भ्रष्टाचार करने का आरोप भी लगाया है।
भ्रष्टाचार के आरोपों की शुरूआत कैसे हुई?
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को मई में आबकारी विभाग से नई शराब नीति में बदलाव के लिए एक प्रस्ताव मिला था। इसके विश्लेषण के दौरान कुमार को नई शराब नीति में कुछ प्रक्रियात्मक खामियां और अनियमितताएं मिलीं, जिसके बाद उन्होंने 8 जुलाई को सिसोदिया को रिपोर्ट भेजी और उनसे जवाब मांगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को भी यह रिपोर्ट भेजी गई। इस रिपोर्ट में सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
रिपोर्ट में सिसोदिया पर क्या आरोप लगाए गए हैं?
कुमार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सिसोदिया ने कमीशन लेकर शराब की दुकानों का लाइसेंस लेने वालों को अनुचित फायदा पहुंचाया। उन पर विदेशी शराब की कीमत में बदलाव करने और बीयर से आयात शुल्क हटाने का आरोप है जिसके कारण विदेशी शराब और बीयर सस्ती हो गईं और राजकोष को नुकसान हुआ। सिसोदिया पर उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना कोविड महामारी का हवाला देकर 144.36 करोड़ रुपये की निविदा लाइसेंस फीस माफ करने का आरोप भी है।
जांच की दिशा में क्या कदम उठाए गए हैं?
इस रिपोर्ट के बाद पिछले हफ्ते उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामले की CBI जांच की सिफारिश की और भ्रष्टाचार के लिए सिसोदिया को जिम्मेदार ठहराया। मुख्य सचिव की सिफारिश पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) भी मामले की जांच कर रही है। EOW ने आबकारी विभाग के सहायक कमिश्नर को नोटिस जारी कर नीति से संबंधित कई जानकारियां मांगी हैं। इसमें उन कंपनियों की सूची भी शामिल है जिन्हें नीति के उल्लंघन के बावजूद लाइसेंस जारी किया गया।
अरविंद केजरीवाल का आरोपों पर क्या कहना है?
आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नई शराब नीति के जरिए भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल झूठे आरोप लगा रहे हैं और AAP के नेता जेल जाने से नहीं डरते हैं।