दिल्ली विधेयक लोकसभा से पारित, विपक्ष ने किया वॉकआउट
दिल्ली सेवा विधेयक लोकसभा से पारित हो गया है। सदन में सरकार का बहुमत होने के कारण ऐसा होना तय था। विधेयक पारित होने के बाद विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया। विधेयक पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है और केंद्र को इससे संबंधित कानून बनाने का पूरा अधिकार है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर बंगले के मुद्दे को लेकर निशाना भी साधा।
नेहरू जी ने किया था दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे का विरोध- शाह
चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "नेहरू जी ने कहा था कि दिल्ली में तीन-चौथाई संपत्ति केंद्र की है। दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जा का विरोध जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और डॉक्टर अंबेडकर ने भी किया था।" इस पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा, "आज अमित शाह जी के मुंह से नेहरू जी की तारीफ सुनी तो लगा कि दिन में ये कैसे हो गया? उनके मुंह में घी शक्कर।"
शाह बोले- संसद को कानून बनाने का अधिकार
गृह मंत्री ने कहा कि संसद को धारा 239 AA के तहत दिल्ली के मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। उन्होंने कहा, "यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही है, जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का वही हिस्सा पढ़ा, जो उसे पसंद था। मैं विनती करना चाहता हूं कि आप आदेश को पहले पूरा पढ़िए।"
शाह ने बंगले के मुद्दे पर केजरीवाल को घेरा
गृह मंत्री ने AAP सरकार और केजरीवाल पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "2015 में दिल्ली में जिस दल (AAP) की सरकार आई, उसका मकसद सेवा नहीं, झगड़ा करना था। परेशानी ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार की नहीं, बल्कि बंगले बनाने जैसे भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए सतर्कता विभाग पर कब्जे की है।" उन्होंने विपक्षी पार्टियों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें दिल्ली के बारे में सोचना चाहिए, गठबंधन के बारे में नहीं।
क्या है विवाद?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को जारी अपने एक आदेश में कहा था कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर केंद्र नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का अधिकार है। इसके बाद केंद्र ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश जारी किया था और ये अधिकार उपराज्यपाल (LG) को दे दिए थे। अब इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए सरकार ने संसद में विधेयक पेश किया है।