केंद्र सरकार ने दिल्ली विधेयक लोकसभा में पेश किया, किए गए कुछ बदलाव
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आज दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुड़े राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा में पेश किया। विधेयक 19 मई को जारी हुए अध्यादेश की जगह लेगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अध्यादेश का जमकर विरोध किया है। उन्होंने संसद में विधेयक का विरोध करने और इसे पारित होने से रोकने के लिए कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ मुलाकात भी की थी।
क्या संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाएगा विधेयक?
लोकसभा में पूर्ण बहुमत होने के कारण भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को दिल्ली विधेयक पारित करवाने में कोई परेशानी नहीं है। यदि राज्यसभा की बात करें तो विधेयक को पारित कराने लिए सरकार को 120 सदस्यों का समर्थन चाहिए और भाजपा और उसके सहयोगियों के 112 सांसद हैं। हाल ही में YSR कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन करने का ऐलान किया था, जिसके बाद उसके 9 राज्यसभा सांसदों के समर्थन से विधेयक आसानी से पारित हो सकता है।
विधेयक को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच है टकराव
पिछले कुछ महीनों के दौरान इस कानून को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच काफी टकराव देखने को मिला है। केजरीवाल ने देशभर में विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर विधेयक का विरोध करने के लिए समर्थन मांगा था। उन्होंने कहा था कि यदि विपक्ष राज्यसभा में अध्यादेश को पारित होने से रोकने में सफल रहा तो इससे 2024 के आम चुनावों से पहले एक बड़ा संदेश जाएगा।
विधेयक में किए गए महत्वपूर्ण बदलाव
NDTV के मुताबिक, अध्यादेश की जगह लाए जा रहे इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। नए प्रावधान में कहा गया है कि LG दिल्ली सरकार द्वारा गठित बोर्डों और आयोगों में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण द्वारा अनुशंसित नामों के आधार पर नियुक्तियां करेंगे। इस प्राधिकारण की अध्यक्षता दिल्ली के मुख्यमंत्री करेंगे। राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की वार्षिक रिपोर्ट को दिल्ली विधानसभा में पेश करने को अनिवार्य बनाने वाला प्रावधान हटा दिया गया है।
अध्यादेश के किन और प्रावधानों को हटाया गया?
केंद्र द्वारा जारी किए गए अध्यादेश में दिल्ली विधानसभा को राज्य लोक सेवा और राज्य लोक सेवा आयोग से संबंधित कोई भी कानून बनाने से प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, विधेयक में अध्यादेश के इस हिस्से को हटा दिया गया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले प्रस्तावों या मामलों से संबंधित मंत्रियों के आदेशों और निर्देशों को LG के समक्ष अनिवार्य रूप से रखने वाले प्रावधान को भी हटा दिया गया है।
क्यों लाया जा रहा है विधेयक?
यह विधेयक दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर नियंत्रण के लिए जारी किए गए अध्यादेश की जगह लेगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को जारी अपने एक आदेश में कहा था कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर केंद्र नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए केंद्र ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश जारी किया था और ये अधिकार उपराज्यपाल (LG) को दे दिए थे।