#NewsBytesExplainer: राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी, क्या पद से हटा पाएगा विपक्ष?
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में खूब हंगामा देखने को मिल रहा है। आज राज्यसभा में सोनिया गांधी की संस्था के जॉर्ज सोरोस से कथित वित्तीय संबंधों को लेकर खूब हंगामा हुआ। इसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर सभापति जगदीप धनखड़ के रुख से नाराज होकर विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। आइए इससे जुड़े नियम जानते हैं।
सभापति के खिलाफ कैसे लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?
सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए प्रस्ताव पर कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं। इसके लिए 14 दिन पहले लिखित नोटिस देना भी जरूरी होता है। कहा जा रहा है कि अभी वाले अविश्वास प्रस्ताव पर 70 सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP) और समाजवादी पार्टी (SP) समेत दूसरी पार्टियों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है।
क्या होती है प्रस्ताव पारित होने की प्रक्रिया?
प्रस्ताव को पहले राज्यसभा में पेश किया जाता है। यहां इसे पारित होने के लिए सदन की संख्या से कम से कम आधे वोट मिलना जरूरी है। चूंकि, सभापति देश के उपराष्ट्रपति भी हैं, इसलिए प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना जरूरी है। अगर लोकसभा से भी प्रस्ताव पारित हो जाता है तो सभापति को हटाया जा सकता है। बता दें कि संसदीय इतिहास में अभी तक सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया है।
किसके पक्ष में है संख्याबल?
फिलहाल राज्यसभा में 231 सदस्य हैं। इस हिसाब से प्रस्ताव को पारित होने के लिए 116 वोटों की जरूरत है। फिलहाल NDA के पास 120 सांसदों का समर्थन है। वहीं, INDIA गठबंधन का आंकड़ा 105 तक ही पहुंच पा रहा है। इसके अलावा 6 मनोनीत सदस्य भी हैं, जो आमतौर पर सत्ता पक्ष का समर्थन करते हैं। अगर राज्यसभा में प्रस्ताव पारित हो भी गया तो लोकसभा में पारित करवाना अलग चुनौती है।
क्यों अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है विपक्ष?
कांग्रेस और INDIA गठबंधन की दूसरी पार्टियों का आरोप है कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का रवैया पक्षपाती है। आज भी सभापति ने राज्यसभा में सूचीबद्ध सभी कार्यों को नियम 267 के तहत स्थगित कर अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग संबंधी नोटिस खारिज कर दिए थे। विपक्ष का आरोप है कि इसके बावजूद सत्ता पक्ष के सांसद इन विषयों पर बोलते रहे। विपक्ष ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का माइक बंद करने के भी आरोप लगाए।
संविधान में राज्यसभा के सभापति पद को लेकर क्या जिक्र है?
संविधान के अनुच्छेद 64 में राज्यसभा के सभापति पद की जानकारी है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते है, जिनका चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मिलकर करते हैं। सभापति का काम राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करना होता है। सभापति को लोकसभा के अध्यक्ष की तरह ही अधिकार मिले होते हैं। राज्यसभा के सभापति देश के उपराष्ट्रपति भी होते हैं, इसलिए इसे दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद माना जाता है।
पहले कभी सभापति के खिलाफ लाया गया है अविश्वास प्रस्ताव?
अब तक राज्यसभा सभापति के खिलाफ कभी भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया है। हालांकि, 2020 में 12 विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। कांग्रेस, TMC, DMK, CPI, RJD, AAP, TRS जैसी कई पार्टियों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था। तब तत्कालीन सभापति वेंकैया नायडू ने 14 दिन के अग्रिम नोटिस के नियम का हवाला देते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।