#NewsBytesExplainer: 7 केंद्रीय मंत्रियों को दोबारा राज्यसभा नहीं भेजने के पीछे भाजपा की क्या रणनीति?
क्या है खबर?
भाजपा ने राज्यसभा की 56 सीटों के लिए अब तक 28 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है।
इनमें से मात्र 4 नाम ऐसे हैं, जिन्हें दोबारा राज्यसभा भेजा जा रहा, लेकिन 7 केंद्रीय मंत्रियों को पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बनाया है। इसके बाद से अटकलें हैं कि पार्टी इन्हें लोकसभा चुनाव में उतार सकती है।
आइए जानते हैं भाजपा ने किन मंत्रियों को दोबारा मौका नहीं दिया है और इसके पीछे उसकी क्या योजना है।
राज्यसभा
किन मंत्रियों को नहीं बनाया गया प्रत्याशी?
पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, IT राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और कनिष्ठ विदेश मंत्री वी मुरलीधरन को दोबारा राज्यसभा नहीं भेजने का फैसला लिया है।
इसके अलावा सुशील मोदी, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय और राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी जैसे दिग्गद भाजपा नेताओं के नाम भी इस सूची में शामिल हैं।
कारण
मंत्रियों को दोबारा राज्यसभा न भेजने के पीछे क्या है कारण?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अगस्त में सुझाव दिया था कि राज्यसभा सदस्यों को कम से कम एक बार प्रत्यक्ष चुनाव लड़ने का अनुभव लेना चाहिए।
इसके बाद ही भाजपा में राय बनी कि इस बार अधिक से अधिक केंद्रीय मंत्रियों को लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए, खासकर उन्हें जो राज्यसभा में कम से कम 2 कार्यकाल पूरे कर चुके हैं।
पार्टी के इस फैसले के पीछे ये एक वजह मानी जा रही है।
लोकसभा चुनाव
7 मंत्री कहां से लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव?
NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया कि लोकसभा चुनाव में सभी 7 केंद्रीय मंत्रियों को विभिन्न राज्यों से मैदान में उतारा जा सकता है।
प्रधान को उनके गृह राज्य ओडिशा के संबलपुर या ढेंकानाल से, यादव को राजस्थान के अलवर या महेंद्रगढ़ से, चंद्रशेखर को बेंगलुरु की 4 सीटों में से एक पर, मांडविया को गुजरात के भावनगर या सूरत से, रूपाला को राजकोट से और मुरलीधरन को केरल से मैदान में उतारा जा सकता है।
योजना
बड़े नेताओं को लोकसभा चुनावों में उतारने के पीछे क्या है योजना?
दरअसल, भाजपा अपने बड़े नेताओं के जरिए लोकसभा चुनावों में सियासी दांव खेलने की योजना बना रही है।
भाजपा पहले भी ऐसी रणनीति अपना चुका है और देखा गया है जब भी वह बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारती है तो इससे आसपास की सीटों पर भी असर पड़ता है।
हाल ही में हुए मध्य प्रदेश चुनाव में ऐसा खासतौर पर देखा गया था, जहां बड़े नेताओं को उताकर पार्टी चुनाव का रुख बदलने में कामयाब रही थी।
रणनीति
विभिन्न राज्यों को लेकर भाजपा की खास रणनीति
केरल में पार्टी चंद्रशेखर और मुरलीधरन के जरिए अपनी किस्मत चमकाना चाहती है।
ओडिशा में जहां नवीन पटनायक तस्वीर से बाहर हो रहे हैं तो भाजपा यहां अपने लिए संभावनाएं तलाश रही हैं।
गुजरात में भाजपा मोदी और अमित शाह के केंद्र में जाने के बाद दूसरा मजबूत नेतृत्व बनाने की कोशिश में है।
राजस्थान में पार्टी वसुंधरा राजे की छवि से बाहर निकलना चाहती है। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर अभी भी प्रमुख चेहरा बने हुए हैं।
भाजपा
राज्यसभा में किन नेताओं को मिला दोबारा मौका?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को इस बार गुजरात से, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को ओडिशा से, एल मुरुगन को फिर से मध्य प्रदेश से और पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को दोबारा उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया है।
भाजपा को उम्मीद है कि वह अपने संख्याबल के हिसाब से राज्यसभा चुनाव में 27 सीटें जीत सकती है। ओडिशा में बीजू जनता दल (BJD) की मदद से एक सीट और जीत सकती है।
राज्यसभा
न्यूजबाइट्स प्लस
भाजपा ने राज्यसभा के जरिए लोकसभा चुनाव के समीकरण साधने का प्रयास किया है।
पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में संगठन से जुड़े और जमीनी स्तर के ऐसे कार्यकर्ताओं को महत्व दिया है, जिन्हें चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिल सका।
उत्तर प्रदेश से अमरपाल मौर्य, बिहार की धर्मशीला गुप्ता, मध्य प्रदेश की माया नरोलिया और महाराष्ट्र की मेधा कुलकर्णी को पहली बार राज्यसभा के लिए नामित किया गया है, जो भाजपा की महिला विंग से जुड़ी हैं।