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कफ दोष को संतुलन में कर सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
कफ दोष को संतुलित करने वाले योगासन

कफ दोष को संतुलन में कर सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

लेखन अंजली
Feb 25, 2022
11:30 pm

क्या है खबर?

आयुर्वेद के मुताबिक शरीर के वात, पित्त और कफ दोष का संतुलन में होना जरूरी है क्योंकि इनके असंतुलन से शरीर में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। खासकर, जब बात कफ दोष की हो तो इसका असंतुलन शरीर को कई गंभीर शारीरिक और त्वचा संबंधित समस्याओं का घर बना सकता है। आप चाहें तो कुछ योगासनों की मदद से कफ दोष को संतुलन में कर सकते हैं। आइए उन योगासनों के अभ्यास का तरीका जानते हैं।

#1

अर्ध चंद्रासन

अर्ध चंद्रासन के लिए योगा मैट पर दोनों पैरों को सामान दूरी पर फैलाकर खड़े हो जाएं। अब दाईं ओर झुकते हुए दाएं हाथ को दाएं पैर के पास रखें और बाएं पैर को ऊपर उठाएं। वहीं, बाएं हाथ को सीधे आसमान की ओर उठाएं और इस मुद्रा में अपना ध्यान बाएं हाथ पर केंद्रित करें। इस दौरान शरीर का भार दाहिने पैर और हाथों की उंगलियों पर रखें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।

#2

शीर्षासन

शीर्षासन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं, फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक करते हुए आगे की तरफ झुककर हाथों को जमीन पर रखें। अब अपने सिर को झुकाकर जमीन से सटाएं, फिर पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सीधे कर लें। कुछ सेकेंड इसी मुद्रा में बने रहे और सामान्य गति से सांस लेते रहें। फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे करें और धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।

#3

धनुरासन

धनुरासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अब अपने दोनों घुटनों को पीछे की तरफ से मोड़ें और हाथों से टखनों को मजबूती से पकड़ लें। इसके बाद सांस लेते हुए अपने पूरी शरीर को इस प्रकार ऊपर उठाने की कोशिश करें कि शरीर का आकार धनुष के समान लगे। अपनी क्षमतानुसार इस मुद्रा में बने रहकर धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें। कुछ सेकेंड बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।

#4

वृक्षासन

वृक्षासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर दोनों पैरों को आपस में जोड़ें और सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं, फिर शरीर का संतुलन बनाते हुए हाथों की मदद से बायां तलवा दायीं जांघ पर रख लें। अब अपने हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए नमस्कार की अवस्था में आ जाएं। थोड़ी देर इसी अवस्था में रहकर धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में आएं और शरीर को आराम देकर आसन को दोहराएं।