वायु मुद्रा: बेहद लाभदायक है यह योग, जानिए इसके अभ्यास का तरीका और महत्वपूर्ण बातें
वायु मुद्रा एक ऐसी योग हस्त मुद्रा है, जो शरीर के अंदर वायु के सही प्रवाह को संचालित करने में मदद करती है। वहीं, इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली हवा निकल जाती है। इसी के साथ वायु मुद्रा कई शारीरिक समस्याओं का उपचार करने और आधात्मिक संतुलन को बढ़ाने के लिए बहुत ही लाभदायक है। आइए आज हम आपको इस मुद्रा के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी कुछ अहम बातें बताते हैं।
वायु मुद्रा के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या फिर सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद आप अपने दोनों हाथों को सीधा करके अपने घुटनों पर रखें। इस दौरान हथेलियां ऊपर की ओर हों। अब अपने दोनों हाथों के अंगूठों को मोड़कर तर्जनी (Index Finger) उंगलियों के ऊपर रखें। बाकी सभी उंगलियां सीधी रखें। इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। 15 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
मुद्रा का अभ्यास करने से पहले गहरी सांस लें और अभ्यास के दौरान अपनी सांस को सामान्य रखें। अगर आपको पीठ में दर्द या फिर रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई बीमारी है तो ज्यादा देर तक इस मुद्रा का अभ्यास न करें। शारीरिक रूप से कमजोर और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित लोग इस मुद्रा का अभ्यास किसी योग गुरू की निगरानी में करें। कुछ खाने या पीने के तुरंत बाद इस मुद्रा का अभ्यास न करें।
वायु मुद्रा के निरंतर अभ्यास से मिलने वाले फायदे
यह मुद्रा वात (वायु) दोषों के कारण होने वाली समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक है। इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। यह मुद्रा मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को ऊर्जान्वित करने में मददगार है। इस मुद्रा से पाचन तंत्र की कार्यक्षमता बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। इस मुद्रा के अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह मुद्रा ध्यान केंद्रित करने की शक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ाती है।
मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी महत्वपूर्ण टिप्स
शुरूआत में इस मुद्रा का अभ्यास किसी योग गुरू की निगरानी में ही करें। इस मुद्रा का अभ्यास करते समय शरीर में अधिक तनाव पैदा न करें और शांत दिमाग से इसका अभ्यास करें। इस मुद्रा का अभ्यास किसी शांत जगह पर बैठकर करें ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से इस पर केंद्रित हो सके। इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान अंगूठों से उंगलियों को अधिक न दबाएं बल्कि सामान्य रूप से मुद्रा की अवस्था कायम रखें।