सेहत के लिए बेहद लाभदायक है रसभरी का सेवन, ये हैं इसके फायदे
रसभरी लाल रंग का रसीला फल होता है। यह फल दिखने में जितना आकर्षक होता है, उससे कहीं ज्यादा गुणकारी है। माना जाता है कि यह फल हमें सेहतमंद रखने में मदद कर सकता है। दरअसल, रसभरी कई तरह के विटामिन्स, मिनरल्स और अन्य गुणकारी पोषक तत्वों से समृद्ध होती है। आइए आज आपको रसभरी के फायदों से परिचित कराते हैं जिन्हें जानने के बाद आप इसे अपनी डाइट में शामिल किए बिना नहीं रह पाएंगे।
वजन नियंत्रित करने में है सहायक
बढ़ता वजन एक गंभीर समस्या है क्योंकि यह शरीर को कई बीमारियों का घर बना सकता है, इसलिए इसे नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। इसके लिए रसभरी को डाइट में शामिल करना अच्छा होगा। रिसर्चगेट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, रसभरी में एंटी-ओबेसिटी गुण मौजूद होते हैं जो शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद कर सकते हैं और बढ़ते वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।
हृदय की सेहत के लिए भी है बहुत लाभकारी
रसभरी का सेवन हृदय की सेहत के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है। एक अध्ययन के अनुसार, रसभरी में ऐंथोसायनिन और ऐलाजिटैनिन जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं जो हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने और संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं। इससे कई हृदय संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके अलावा ये एंटी-ऑक्सीडेंट गुण हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिमों को कम करने में भी सहायता प्रदान कर सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती प्रदान करने में हैं सहायक
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए भी रसभरी का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि इसको एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों का भंडार माना जाता है जो शरीर को नकारात्मक प्रभावों से बचाने में सहायक होते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी-प्रोलाइफरेटिव गुण होते हैं जो कोशिकाओं को क्षति से बचाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता के सहायक के रूप में काम करते हैं। इसलिए रसभरी को डाइट में शामिल करना फायदेमंद हो सकता है।
कैंसर से बचाएं रखने में भी है कारगर
कैंसर रोगियों के लिए भी रसभरी का सेवन काफी हद तक लाभकारी सिद्ध हो सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक, इसमें एंटी-कैंसर, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण देखे गए हैं। ये गुण कैंसर से होने वाले जोखिमों को कम करने में सहयोग प्रदान कर सकते हैं। हालांकि कैंसर रोगियों के लिए पहली प्राथमिकता किसी भी तरह के फल की बजाय समय-समय पर कराई जाने वाली डॉक्टरी जांच होनी चाहिए।