निमोनिया के जोखिम कम करने में सहायक हैं ये प्राणायाम, ऐसे करें अभ्यास
क्या है खबर?
निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक संक्रमण रोग है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है। इस रोग के कारण फेफड़ों में सूजन आना, मवाद भरना और सांस लेने में तकलीफ जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।
आइए आज हम आपको कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जिनसे न सिर्फ निमोनिया के जोखिम कम करने में मदद मिलेगी बल्कि फेफड़ों पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा।
#1
निर्वाण प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं, फिर नाक से सामान्य तरीके से सांस लें।
इसके बाद होंठों से सांस को इस तरह धीरे-धीरे छोड़ें जैसे कि केक पर लगी मोमबत्तियों को बुझाने के लिए फूंक मारी जाती है।
इस क्रम को आप पांच से छह बार या फिर अपनी सुविधानुसार दोहरा सकते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे सामान्य होते हुए प्राणायाम छोड़ दें।
#2
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर सुखासन की अवस्था में बैठकर अपनी दोनों आंखें बंद करें।
अब मुंह को बंद करते हुए नाक के दोनों छिद्रों से गहरी सांस लें, फिर एक झटके में दोनों नाक के छिद्रों से भरी हुई सांस को छोड़ें। ध्यान रखें कि सांस छोड़ने की गति इतनी तीव्र हो कि झटके के साथ फेफड़े सिकुड़ जाने चाहिए।
कुछ मिनट इस प्राणायाम का अभ्यास करने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
#3
उद्गीथ प्राणायाम
उद्गीथ प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें।
अब दोनों आंखों को बंद करके गहरी सांस लें और इसे धीरे-धीरे छोड़ते हुए ओम का जाप करें। ध्यान रखें की जब आप यह उच्चारण कर रहे हों, तब आपका ध्यान आपकी सांसों पर केंद्रित हो।
शुरूआत में इस प्राणायाम का अभ्यास 5-10 मिनट तक करें और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
#4
कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें।
इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़कर नाक से गहरी सांस लें, फिर पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए इस सांस को छोड़ें। कुछ मिनट तक इस प्रक्रिया को दोहराते रहें।
इसके बाद धीरे-धीरे अपनी आंखों को खोलें और प्राणायाम का अभ्यास बंद कर दें।