भस्त्रिका प्राणायाम: बेहद फायदेमंद है यह प्राणायाम, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
बिगड़ती जीवनशैली के साथ-साथ असंतुलित खान-पान और गलत आदतें शरीर को कई गंभीर बिमारियों का घर बना सकती हैं, जिनसे राहत दिलाने में कुछ योगासनों या प्राणायाम का नियमित रूप से अभ्यास काफी सहायक हो सकता है। ऐसा ही एक प्राणायाम है भस्त्रिका प्राणायाम, जिसका नियमित रूप से अभ्यास करते रहने से कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से बचा जा सकता है। चलिए फिर आज भस्त्रिका प्राणायाम से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
भस्त्रिका प्राणायाम क्या है?
इस प्राणायाम का अभ्यास सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर आधारित है यानी इस प्राणायाम का अभ्यास करते समय सांस को तेजी से लिया और छोड़ा जाता है। योग प्राणायाम की यह प्रक्रिया शरीर की अशुद्धियों को बाहर निकालने और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है। इसलिए भस्त्रिका प्राणायाम का नियमित रूप से किया जाने वाला अभ्यास कई स्वास्थ्य संबंधी विकारों से राहत दिलाने में सहायक साबित हो सकता है।
भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योग मैट बिछाकर पद्मासन की अवस्था में एक सीधे बैठ जाएं। अब मुंह को बंद करते हुए नाक के दोनों छिद्रों से गहरी सांस लें। इसके बाद अब आपको एक झटके में दोनों नाक के छिद्रों के माध्यम से भरी हुई सांस को छोड़ना होगा। ध्यान रखें कि सांस छोड़ने की गति इतनी तीव्र हो कि झटके के साथ फेफड़े सिकुड़ जाने चाहिए। शुरुआत में इस प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे करें, फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं।
भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास से जुड़ी सावधानियां
1) इस प्राणायाम का अभ्यास करने से पहले नाक को अच्छे से साफ कर लें। 2) अगर आप पहली बार इस प्राणायाम का अभ्यास करने जा रहे हैं तो भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे करें। बेहतर होगा अगर आप इसके लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लें। 3) फेफड़े, हृदय और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित रोगी इस प्राणायाम का अभ्यास हमेशा धीमी गति में करें तो बेहतर होगा। अगर समस्या गंभीर है तो इस प्राणायाम को न करें।
भस्त्रिका प्राणायाम के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे
अगर आप रोजाना भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करते हैं तो इससे आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए इसके अभ्यास से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है जिससे इसकी कार्यक्षमता बेहतर होती है। इसके अतिरिक्त यह श्वसन प्रक्रिया के लिए भी लाभदायक है। बात अगर इसके अभ्यास से मिलने वाले मानसिक फायदों की करें तो यह दिमाग को शांत और तनाव से निजात दिलाने में सहायक हो सकता है।