पेचिश के जोखिमों को कम करने में सक्षम हैं ये प्राणायाम, ऐसे करें अभ्यास
क्या है खबर?
पेचिश पेट की बीमारी है, जो शिगेला नामक बैक्टीरिया और एटामोइबा हिस्टोलिटिका नामक पैरासाइट इंफेक्शन के कारण होती है।
यह बीमारी दूषित भोजन और दूषित पानी का सेवन करने से हो सकती है। वहीं, किसी संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक संपर्क में आने के कारण भी इस बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
आइए आज हम आपको कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो पेचिश के जोखिम कम करने में सहायक हो सकते हैं।
#1
नाड़ी शोधन प्राणायाम
नाड़ी शोधन प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें, फिर दाएं हाथ की पहली दो उंगलियों को माथे के बीचों-बीच रखें।
अब अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। इस दौरान अपनी दोनों आंखें बंद करके अपनी सांस पर ध्यान दें।
कुछ देर बाद प्राणायाम छोड़ दें।
#2
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
सबसे पहले योगा मैट पर किसी आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं, फिर अपनी दोनों आंखों को बंद करें।
अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अपने दाएं हाथ की अनामिका वाली उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस लें।
कुछ मिनट इस प्रक्रिया दोहराने के बाद धीरे-धीरे आंखों को खोलें और प्राणायाम का अभ्यास बंद कर दें।
#3
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर सुखासन की अवस्था में बैठकर अपनी दोनों आंखें बंद करें।
अब मुंह को बंद करते हुए नाक के दोनों छिद्रों से गहरी सांस लें, फिर एक झटके में दोनों नाक के छिद्रों से भरी हुई सांस को छोड़ें। ध्यान रखें कि सांस छोड़ने की गति इतनी तीव्र हो कि झटके के साथ फेफड़े सिकुड़ जाने चाहिए।
कुछ मिनट इस प्राणायाम का अभ्यास करने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
#4
शीतकारी प्राणायाम
सबसे पहले योगा मैट पर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं। अब जीभ को ऊपर की ओर रोल करें और इससे ऊपरी तालु को छुएं।
इसके बाद दांतों को एक साथ मिलाएं और होठों को अलग रखें ताकि दांत दिखें। फिर धीरे से लंबी सांस लें। इस दौरान मुंह से 'हिस' की आवाज उत्पन्न होगी। इसके बाद अपने होंठों को आपस में मिलाकर नाक से सांस को धीरे से छोड़े।
इस प्रक्रिया को लगभग 20-25 बार दोहराएं।