अक्षय तृतीया पर खुले चार धाम यात्रा के कपाट, जानिए रजिस्ट्रेशन समेत पूरी जानकारी
उत्तराखंड सरकार ने 3 मई यानी अक्षय तृतीया वाले दिन चार धाम (गंगोत्री, यमनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) की यात्रा के कपाट खुलने की घोषणा कर दी है, लेकिन सरकार ने सुरक्षा के लिहाज से तीर्थयात्रियों की संख्या पर रोजाना की लिमिट तय कर दी। सरकार ने ये पाबंदियां कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण लगाई हैं। अगर आप भी चार धाम यात्रा पर जाने को इच्छुक हैं तो आइए आज हम आपको इसके रजिस्ट्रेशन समेत अन्य महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
आपको चार धाम यात्रा क्यों लेनी चाहिए?
हिमालय की शानदार चोटियों के बीच बसे चार धाम हिंदुओं के लिए बहुत आध्यात्मिक महत्व रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए आपको अपने जीवन में कम से कम एक बार चार धाम के चार मंदिरों की यात्रा करनी चाहिए।
चार धाम यात्रा की शुरूआत कैसे हुई?
चार धाम यात्रा की शुरूआत 8वीं शताब्दी के धर्मप्रवर्तक और दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने की थी। उन्होंने 8वीं शताब्दी में हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने के लिए चार पवित्र मंदिरों की तीर्थ यात्रा का आगाज किया। 1950 के दशक तक लोगों ने इन स्थलों तक पहुंचने के लिए पैदल ही एक कठिन यात्रा तय की। हालांकि, 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सही रास्तों और कई तरह के साधनों की वजह से यह यात्रा थोड़ी आसान होती चली गई।
उत्तराखंड में स्थित पवित्र चार धामों के कपाट खुलने की तिथियां
1. यमुनोत्री मंदिर: उत्तरकाशी जिले में स्थित देवी यमुना को समर्पित मंदिर 3 मई 2022 को खुल चुका है। 2. गंगोत्री मंदिर: उत्तरकाशी जिले में ही मौजूद देवी गंगा को समर्पित यह मंदिर भी 3 मई 2022 को खुल चुका है। 3. केदारनाथ मंदिर: रूद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान शिव को समर्पित यह लोकप्रिय मंदिर 6 मई 2022 को खुलेगा। 4. बद्रीनाथ मंदिर: चमोली जिले में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर 8 मई 2022 को खुलेगा।
चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करने का तरीका
सबसे पहले उत्तराखंड पर्यटन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। इसके बाद पेज के टूलबार से "एक्सप्लोर" विकल्प चुनें, फिर "आध्यात्मिक" विकल्प पर क्लिक करें और "चारधाम" चुनें। अंत में "अभी पंजीकरण करें" पर क्लिक करें। बता दें कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए तीर्थयात्रियों की संख्या की दैनिक सीमा गंगोत्री के लिए 7,000, यमुनोत्री के लिए 4,000, बद्रीनाथ के लिए 15,000 और केदारनाथ के लिए 12,000 निर्धारित की गई है।
सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं?
गंगोत्री धाम के उद्घाटन समारोह में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी आए थे, जिन्होंने लोगों को सुरक्षित तीर्थयात्रा का आश्वासन दिया। धामी का कहना है कि तीर्थयात्रियों के लिए डॉक्टर उपलब्ध रहेंगे और चार धाम यात्रा के 32 स्थानों पर आपदा कर्मियों को तैनात किए गए हैं। उत्तराखंड सरकार ने कहा कि चार धाम यात्रा के लिए COVID-19 टीकाकरण का प्रमाणपत्र या 24 घंटे की नकारात्मक टेस्ट रिपोर्ट अनिवार्य नहीं है।
चार धाम की यात्रा का रास्ता
हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, चार धाम यात्रा पश्चिम से शुरू होकर पूर्व में समाप्त होनी चाहिए। इसलिए कई यात्री यमुनोत्री से अपनी यात्रा को शुरू करते हैं, फिर गंगोत्री की ओर बढ़ते हैं। इसके बाद केदारनाथ मंदिर की ओर रूख करते हैं और अंत में बद्रीनाथ मंदिर पर अपनी यात्रा का समापन करते हैं। बता दें कि तीर्थयात्री अपने साथ केदारनाथ और बद्रीनाथ ले जाने के लिए गंगा और यमुना का जल भी एकत्र करते हैं।