यमुना में कहां से आता है सफेद झाग और बचाव के लिए क्या कर रही सरकार?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से गुजर रही यमुना नदी में हर साल की तरह इस पर बार भी जहरीला सफेद झाग दिखाई दे रहा है। यह दूर से नदी में जमी बर्फ की तरह दिखाई देता है। ऐसे में इस पानी का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। हालांकि, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने छठ पूजा पर यमुना तट पर पूजा-अर्चना पर रोक लगाई है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह झाग कहां से आता है?
यमुना में जहरीले सफेद झाग बनने का क्या है कारण?
बता दें कि यमुनोत्री से निकलकर संगम तक जाने वाली यमुना नदी का मात्र दो प्रतिशत हिस्सा दिल्ली से गुजरता है, लेकिन प्रदूषण फैलाने में दिल्ली का सबसे बड़ा हिस्सा माना जाता है। एक अध्यन के अनुसार यमुना लगभग 80 प्रतिशत प्रदूषित दिल्ली में होती है। यहां नदी में सबसे अधिक डिटर्जेंट सहित उद्योगों से निकलने वाली गंदगी छोड़ी जाती है। इससे पानी में अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है और इसके कारण ही पानी में सफेद झाग बनते हैं।
दिल्ली में हाथ धाने लायक भी नहीं है यमुना का पानी
प्रदूषण से दिल्ली में यमुना का पानी काला पड़ चुका है। यह नहाने या हाथ धोने के लायक भी नहीं है, पीना तो बहुत दूर की बात है। इस तरह देखा जाए तो दिल्ली वायु और जल प्रदूषण दोनों ही तरह के खतरों का सामना कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना नदी में जैव रासायनिक ऑक्सीजन और डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन का लेवल बेहद खराब स्तर का है। इस पानी में नहाने से चर्म रोग हो सकता है।
यमुना पुनरुद्धार योजना के तहत नहीं हो सका प्रभावी काम
यमुना पुनरुद्धार योजना के तहत यमुना में छोड़े जा रहे कचरे में प्रदूषकों की केवल सीमित मात्रा निर्धारित करने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन पिछले दो सालों में कुछ खास नहीं हुआ है। इसके बाद नेशनल ग्रीन टि्रब्यूनल (NGT) ने 2018 में मॉनिटरिंग कमेटी बनाई ताकि ट्रिब्यूनल के के फैसले को लागू किया जाए, लेकिन जनवरी 2021 में इसे भंग कर दिया गया। ऐसे में यमुना में अभी भी 18 नालों से ओद्यौगिक अपशिष्ट छोड़ा जा रहा है।
AAP विधायक राघव चड्ढा ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा को ठहराया जिम्मेदार
इस मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) विधायक और दिल्ली जल बोर्ड (DJB) उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा से यमुना में 105 मिलियन गैलन प्रति दिन और उत्तर प्रदेश में 50 मिलियन अपशिष्ट जल छोड़ा जाता है। इस पानी में औद्योगिक अपशिष्ट, अनुपचारित डिटर्जेंट और अमोनिया था। यही कारण है कि यमुना के पानी में जहरीला सफेद झाग सामने आ रहा है। इसका खामियाजा दिल्ली उठा रही है।
मनोज तिवारी ने AAP सरकार पर साधा निशाना
भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा कि कैसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना को लंदन की टेम्स नदी की तरह स्वच्छ बनाने का वादा किया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले में दिल्ली सरकार से जवाबदेही की मांग करनी चाहिए।
यमुना की सफाई पर खर्च किए जा चुके हैं 4,988 करोड़ रुपये
बता दें कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार यमुना की सफाई नाम पर अब तक कुल 4,988 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, लेकिन यमुना से सफेद झाग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई पर सबसे अधिक 2,387 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने 2,052 करोड़ रुपये और हरियाणा सरकार ने 549 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन इसका कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया।
दिल्ली सरकार ने यमुना ऐक्शन प्लान के नाम पर खर्च किए 1,514 करोड़ रुपये
दिल्ली सरकार दो यमुना एक्शन प्लान के तहत 1,514 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी हैं। इसके अलावा यमुना ऐक्शन प्लान तो साल 1993 से चल रहा है। तब से लेकर आज तक 28 साल का वक्त बीत गया, लेकिन यमुना साफ नहीं हो पाई है।
यमुना से झाग हटाने के लिए क्या प्रयास कर रही है दिल्ली सरकार
वर्तमान में यमुना में आए जहरीले सफेद झाग को हटाने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से विभिन्न स्थानों पर तेज गति से पानी का छिड़काव किया जा रहा है। इसके अलावा कालिंदी कुंज के पास बांस के बैरिकेड्स लगाने जैसे उपायों का सहारा लिया गया है। इसी तरह दिल्ली के कुछ हिस्सों में झाग की सफाई के लिए 15 नावें भी तैनात की गई है। दो नावों के बीच कपड़ा बांधकर झाग को किनारे लाया जा रहा है।