वैक्सीनेशन और अफवाहें: ग्रामीण भारत में क्या है टीकाकरण का हाल?
कोरोना महामारी के खिलाफ वैक्सीन को एकमात्र उपचार माना जा रहा है। भारत में लोगों को वैक्सीन लगनी तो शुरू हो गया, लेकिन कहीं वैक्सीन की किल्लत तो कहीं वैक्सीन को लेकर चल रही अफवाहों के कारण यह अभियान प्रभावित हो रहा है। वैक्सीन से जुड़ी अफवाहों का सबसे अधिक प्रभाव भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ा है। ऐसे में न्यूजबाइट्स हिन्दी की टीम ने कई गावों का दौरा किया। जानिए हमें क्या कुछ देखने को मिला।
सबसे पहले जानिए देश में वैक्सीनेशन अभियान की क्या है स्थिति
सबसे पहले देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 22,69,37,671 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 32,47,707 खुराकें लगाई गईं। वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है।
वैक्सीन लगाने के तीन दिन बाद हुई शख्स की मौत से फैला भय
न्यूजबाइट्स हिन्दी की टीम सबसे पहले पहुंची जयपुर जिले की बस्सी तहसील के लगभग 5,500 की आबादी वाले मागोगढ़ गांव में। यहां पिछले महीने 45 साल से अधिक उम्र वालों के लिए वैक्सीनेशन कैंप लगाया गया था। जिसमें केसर लाल महावर (48) ने भी वैक्सीन लगवाई थी। वैक्सीन लगाने के तीन दिन तबीयत बिगड़ने से उसकी मौत हो गई। इसके बाद पूरे महावर समाज के लोगों में भय व्याप्त हो गया और उन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाने का निर्णय कर लिया।
केसर की मौत के बाद वैक्सीन को लेकर ग्रामीणों में बैठा डर
गांव के एक व्यक्ति मनफूल महावर ने न्यूजबाइट्स से कहा कि केसर की मौत वैक्सीन लगवाने के बाद हुई है। इससे साफ है कि वैक्सीन के गंभीर दुष्परिणाम हैं। मनफूल से अलग भी हमने कई लोगों से बात की, ज्यादातर ने कहा कि वे वैक्सीन लगवाकर अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाहते और सावधानी बरतकर ही कोरोना से मुकाबला करेंगे। घटना के बाद आंगनबाड़ी सहायिका सीता शर्मा भी महावर समाज के लोगों को समझाने गई, लेकिन बात नहीं बनी।
कैसे हुई केसर की मौत?
ग्राम पंचायत की हेल्थ वर्कर मोलपुट्टी ने हमें बताया कि गांव में वैक्सीन लगने के बाद किसी की भी मौत नहीं हुई और केसर की मौत अधिक शराब पीने से हुई है। अफवाहों से दूर करने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है और उन्हें वैक्सीन लगवाने को प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर क्षेत्र में कैंप लगाए जाते हैं। 18-44 आयु वर्ग के लिए अभी कोई कैंप नहीं लगा है।
यहां परिजनों के दबाव में वैक्सीन नहीं लगवा रहे युवा
बस्सी तहसील के ही अन्य गांव पाड़ासोली पहुंचने पर हमारी बात हुई भागचंद शर्मा (23) से, उन्होंने न्यूजबाइट्स को बताया कि उनके परिजन वैक्सीन लगवाने के खिलाफ हैं और वह उन्हें भी वैक्सीन नहीं लगवाने दे रहे। इसी तरह राजेंद्र कुमार ने कहा कि उनके पड़ोसी ने वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। वह इकलौती संतान हैं। ऐसे में परिजनों ने सुरक्षा को देखते हुए उन्हें वैक्सीन लगवाने से मना किया है।
यहां बहुत धीमी है वैक्सीनेशन की रफ्तार
माधोगढ़ पंचायत क्षेत्र में पहुंचने पर पता चला कि यहां अभी तक 18-44 साल आयु वर्ग में एक भी वैक्सीन नहीं लगी है। हजारों की आबादी वाले इन क्षेत्रों में रोजाना कुछ ही लोगों को वैक्सीन लग रही है।
वैक्सीन में सुअर की चर्बी के इस्तेमाल की भी अफवाह
वैक्सीन में सुअर की चर्बी के इस्तेमाल की अफवाह भी फैली हुई है। गोला का बास निवासी मोहम्मद आबिद कहते हैं, "वैक्सीन में सुअर की चर्बी का इस्तेमाल होता है जो मेरे धर्म के खिलाफ है। इसलिए मैं वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा।" इससे अलग जयपुर के गोकुलपुरा निवासी कुलदीप सिंह कहते हैं कि वह शराब पीने के आदि हैं और वैक्सीनेशन के बाद शराब पीने से मौत हो सकती है। वह शराब के बिना नहीं रह सकते, इसलिए वैक्सीन नहीं लगवाएंगे।
अफवाह के चलते बिहार के तेतरिया गांव में एक भी व्यक्ति ने नहीं लगवाई वैक्सीन
राजस्थान के बाद हम बिहार पहुंचे, यहां भी वैक्सीनेशन को लेकर चल रही अफवाहों का खासा असर देखने को मिला। हालत यह है कि वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुए पांच महीने हो गए, लेकिन लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा ब्लॉक के लगभग 1,200 आबादी वाले तेतरिया गांव में अभी तक एक भी व्यक्ति ने वैक्सीन नहीं लगवाई। बाहर नौकरी करने वाले कुछ लोगों ने वैक्सीन जरूर लगवाई है। लोगों में सबसे बड़ा डर है कि वैक्सीन लगवाने के बाद मौत हो जाएगी।
कमजोर और दुबले-पतले लोग वैक्सीन को सहन नहीं कर सकते- ग्रामीण
तेतरिया गांव निवासी घनश्याम रजक ने न्यूजबाइट्स से कहा कि वह वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। वैक्सीन लेने से लोगों की मौत हो रही है। उनके रिश्तेदार की भी वैक्सीन लगवाने के बाद ही मौत हो गई। टेम्पो चालक नागेश्वर यादव कहते हैं, "मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं और मुझे वैक्सीन की जरूरत नहीं है।" उनके मन भी वैक्सीन लगवाने के बाद मौत होने का डर बैठा है। उनका कहना है कि कमजोर और दुबले-पतले लोग वैक्सीन को नहीं सह सकते।
लोगों को जागरूक करने के किए जा रहे हैं प्रयास- भारती
लखीसराय के वैक्सीनेशन कार्यक्रम अधिकारी डॉ अशोक कुमार भारती ने न्यूजबाइट्स से कहा, "जिस दिन गांव में वैक्सीनेशन कैंप शेड्यूल होगा, उस दिन लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। अभी तक जिले में 76,398 लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।" उन्होंने कहा कि लोगों में कोरोना वैक्सीन को लेकर बहुत भय और अफवाहें फैली हुई है। लोगों के डर और अफवाहों को खत्म करने के लिए विभाग के अधिकारी और आशा वर्कर लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं।
पहली खुराक लगवाने के बाद दूसरी से डर रहे लोग
हरियाणा में भी चल रहे वैक्सीनेशन अभियान पर अफवाहों का असर देखने को मिला है। हरियाणा के आदमपुर निवासी ओमप्रकाश ने हमसे कहा, "मैं पहले वैक्सीन को लेकर आश्वस्त था, लेकिन पहली खुराक लेने के बाद दो दिन तक मेरे पैरों में तेज दर्द रहा। ऐसे में दूसरी खुराक को लेकर मेरे मन में डर बैठ गया है।" उनकी पत्नी रोशनी देवी कहती हैं, "जब घर से बाहर जाना ही नहीं है तो वैक्सीन क्यों लगवानी?"
उत्तर प्रदेश में भी अफवाहों ने बिगाड़ी वैक्सीनेशन अभियान की रफ्तार
न्यूजबाइट्स हिन्दी की टीम ने उत्तर प्रदेश भी का दौरा किया। यहां के ग्रामीण इलाकों में भी वैक्सीन को लेकर कई तरह की अफवाहें चल रही हैं। इसके कारण लोगों ने वैक्सीनेशन अभियान से दूरी बना रखी है। चिकित्सा विभाग की ओर से जागरुकता कार्यक्रम के लिए आने वाली टीमों को देखकर ग्रामीण फरार हो रहे हैं। हाल ही में बाराबंकी में वैक्सीनेशन से बचने के लिए ग्रामीणों द्वारा नदी में कूदने की खबरें भी आई थी।
वैक्सीन लगवाने के बाद होने वाले दुष्परिणामों का है सबसे अधिक डर
मथुरा जिले के अवैरनी गांव निवासी आर्यन (20) ने पिता के डॉक्टर हैं, इसके बावजूद भी उन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है। उन्होंने न्यूजबाइट्स से कहा, "पता नहीं वैक्सीन लगवाने के बाद क्या होगा? कितने दिन बुखार आएगा, दर्द होगा? वैक्सीन लगवाने के बाद आगे चलकर परेशानी हो सकती है। यदि सरकार वैक्सीन लगवाने के बाद कोई भी परेशानी नहीं होने की गारंटी देगी तो मैं वैक्सीन लगवा सकता हूं।"
पीरियड्स के दौरान वैक्सीन लगवाने पर हो सकती है मौत- ग्रामीण महिला
अवैरनी गांव निवासी गजेंद्र सिंह (58) ने कहा कि वह कैंसर से पीड़ित रह चुके हैं और उन्हें सांस तथा ब्लड प्रेशर की समस्या भी है। ऐसे में उनका शरीर वैक्सीन नहीं झेल पाएगा। वह वैक्सीन लगने के बाद होने वाली मौतों के कारण भी वैक्सीन लगवाने से डरे हुए हैं। झरौठा गांव निवासी 27 वर्षीय महिला कहती हैं, "पीरियड्स के दौरान वैक्सीन लगवाने पर मौत हो सकती है। मेरे पड़ोस में एक महिला की मौत हो चुकी है।"
ग्रामीण क्षेत्रों में है विशेष जागरुकता अभियान की जरूरत
न्यूजबाइट्स हिन्दी द्वारा की गई बातचीत के आधार पर स्पष्ट है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन को लेकर अफवाहें चरम पर हैं। अभी वैक्सीन की किल्लत है, जिसके कारण शायद यह बात कहीं छिप रही है कि लोगों में वैक्सीन का डर है, लेकिन जब पूर्ण मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध होगी, तब वैक्सीनेशन अभियान कैसे चलेगा, यह देखने वाली बात होगी। महामारी से निजात के लिए सरकारों को ग्रामीण क्षेत्रों में अभी से विशेष जागरुकता अभियान चलाने की जरुरत है।