
लखनऊ में मशहूर है 'चिकनकारी कशीदाकारी', जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य
क्या है खबर?
नवाबों के शहर 'लखनऊ' में 2 चिकन लोकप्रिय है। एक खाने वाला तो दूसरा पहनने वाला।
जी हां, यहां की मशहूर चिकनकारी कढ़ाई दुनियाभर में खूब पसंद की जाती है।
यह एक ऐसी कशीदाकारी कला है, जो पहले सिर्फ कपड़ों को सजाने या उन पर डिजाइन बनाने के लिए इस्तेमाल की जाती थी, लेकिन अब मेजपोश, कुशन कवर और अन्य वस्तुओं पर भी की जाती है।
आइये आज इसी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जानते हैं।
परिभाषा
क्या है चिकनकारी?
चिकनकारी शब्द का मतलब है कढ़ाई। यह लखनऊ के सबसे पुरानी और बेहतरीन टेक्सटाइल डेकोरेशन स्टाइल्स में से एक है।
इसका नाम फारसी शब्द चिकिन या चाकेन से लिया गया है, जिसका मतलब है 'कढ़ाई वाला कपड़ा'।
चिकनकारी का काम सफेद सूती धागे का इस्तेमाल करके सफेद सूती कपड़े पर किया जाता है। हालांकि, अब इसकी कढ़ाई रंगीन कपड़ों पर भी की जाती है।
लखनऊ के गांवों में करीब 5,000 घरों में महिलाएं चिकनकारी का काम करती हैं।
शुरुआत
कैसे हुई शुरुआत?
इतिहास के पन्नों को पलटे तो पता चलता है कि चिकनकारी की कढ़ाई मुगल बादशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां के दौर में भारत आई और परवान चढ़ गई।
माना जाता है कि बेगम नूरजहां की एक कनीज को चिकनकारी का काम आता था, उसी ने अन्य महिलाओं को भी इस नायाब कला से रूबरू करवाया था।
चिकनकारी की कढ़ाई नाजुक और महीन काम वाली होती है, इसलिए जो भी इस काम को देखता था, उसे यह बेहद पसंद आती थी।
प्रक्रिया
क्या है प्रक्रिया?
इस कला की बुनियादी चरणों में कपड़ों का काटना, सिलाई, छपाई, कढ़ाई, धुलाई और फिनिशिंग शामिल हैं।
छपाई की प्रक्रिया को रंगे हुए लकड़ी के ब्लॉकों का इस्तेमाल करके किया जाता है और इसकी कढ़ाई आमतौर पर महिलाओं द्वारा की जाती है।
धुलाई और फिनिशिंग की प्रक्रिया में ब्लीचिंग, एसिड उपचार, कड़ापन और कपड़ों को प्रेस करना शामिल है।
इस पूरी प्रक्रिया में 10 से 12 दिन लग सकते हैं।
प्रकार
कौन-कौन से हैं चिकनकारी के प्रकार?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चिकनकारी कढ़ाई कई प्रकार की होती हैं।
इनमें उभरे हुए टांके, जो कपड़े पर एक दानेदार रूप देता है। दूसरा है जाली का काम, जो थ्रेड टेंशन से किया जाता है।
इसके अलावा मुर्री भी काफी लोकप्रिय है। यह चावल के आकार की सूक्ष्म सिलाई होती है, जबकि बनारसी 6 धागों का इस्तेमाल करके कपड़े के दाहिने हाथ की ओर बनाई गई गांठ वाली सिलाई होती है।