#NewsBytesExplainer: देशभर में डेंगू का प्रकोप, अपने बच्चों को कैसे रखें इससे सुरक्षित?
क्या है खबर?
देश के कई राज्यों में इन दिनों डेंगू का प्रकोप फैला हुआ है और अस्पतालों में इससे पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पिछले 2 दशक में डेंगू के मामलों में 8 गुना से ज्यादा वृद्धि हुई है और बच्चे भी इसे अछूते नही हैं।
ऐसे में इससे बचाव के लिए पहले से ही कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, ताकि आपके बच्चे इस संक्रमण से सुरक्षित रहें।
जानकारी
कैसे फैलता है डेंगू?
डेंगू एक संक्रमण है और यह मादा ऐडीज ऐजिप्टी मच्छरों द्वारा फैलता है, जो रात में हमला करके मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के विपरीत दिन के समय मनुष्यों को अपना शिकार बनाता है।
एक संक्रमित मच्छर अपने 3-4 हफ्ते के पूरे जीवनकाल में अनगिनत लोगों को काटकर उन्हें बीमार कर सकता है।
व्यस्क लोग तो खुद को मच्छरों से बचा लेते हैं, लेकिन छोटे बच्चे ऐसा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में वो मच्छरों का आसान लक्ष्य बनते हैं।
लक्षण
डेंगू के लक्षण
आमतौर पर मच्छर के काटने के 4-5 दिन बाद लक्षण दिखने शुरू होते हैं, जो एक हफ्ते या इससे ज्यादा समय रह सकते हैं।
डेंगू संक्रमण होने पर बच्चों में तेज बुखार के साथ पेट में तेज दर्द, आंखों के पीछे दर्द, उल्टी लगना, ग्रंथियों में सूजन, हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द समेत त्वचा पर लाल चकत्ते होना जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं।
कुछ बच्चों में इसके लक्षण गंभीर भी हो जाते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं।
प्लेटलेट्स
बच्चों में प्लेटलेट्स कितनी होनी चाहिए और इसका कितना स्तर खतरे की घंटी है?
डेंगू होने पर सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव शरीर की प्लेटलेट्स पर पड़ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों के शरीर में प्लेटलेट काउंट 1,50,000 से लेकर 4,50,000 हो सकता है और प्लेटलेट काउंट 50,000 से कम होना गंभीर माना जाता है।
इस स्थिति में सही समय पर देखभाल और उपचार न मिलना जानलेवा हो सकता है।
बता दें कि डेंगू के अलावा विटामिन-B की कमी, खून की कमी या एनीमिया जैसी बीमारियों के कारण भी प्लेटलेट्स प्रभावित हो सकती हैं।
टेस्ट
डेंगू का पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए?
अगर बच्चे में तेज बुखार और त्वचा पर लाल चकत्ते जैसे डेंगू के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत ही उसका डेंगू टेस्ट करवाएं।
इसके लिए डॉक्टर एंटीजन ब्लड टेस्ट (NS1) करवाने की सलाह दे सकते हैं। यह टेस्ट लगभग 1,000-1,500 रुपये में होता है।
अगर इस टेस्ट का परिणाम सकारात्मक आता है तो डॉक्टर बच्चों की स्थिति के हिसाब से दवाएं दे सकता है। साथ ही आपको उसकी अतिरिक्त देखभाल करने के लिए कह सकता है।
खान-पान
डेंगू होने पर बच्चों की डाइट में किन चीजों को शामिल करना जरूरी है?
डेंगू को सामान्य संक्रमण समझने की गलती न करें और बच्चे की सही देखभाल और इलाज के साथ-साथ उसके खान-पान पर अतिरिक्त ध्यान दें, ताकि उसका शरीर कमजोर न हो।
इसके लिए उसे घर का बना सादा खाना, फल, साबुत अनाज और मेवे जैसे स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करवाएं। साथ ही हाइड्रेशन के लिए पर्याप्त पानी पिलाएं और नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ देते रहें।
इसके अलावा जंक फूड से उन्हें दूर ही रखें।
इलाज
क्या है डेंगू का इलाज?
WHO के मुताबिक, डेंगू शीर्ष 10 खतरनाक वैश्विक बीमारियों में से एक है। इसके बावजूद देश में अभी तक डेंगू के खिलाफ वैक्सीन तैयार नहीं हुई है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक, वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की प्रक्रिया चल रही है।
फिलहाल, इससे संक्रमितों को आराम करने, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीने और दर्द निवारक दवाएं जैसे पैरासिटामोल आदि लेने की सलाह दी जाती है ताकि बुखार से बचा जा सके।
बचाव
बच्चों का डेंगू से कैसे बचाव करें?
बच्चों को डेंगू से बचाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि अपने घर के आस-पास गंदगी और पानी का जमाव न होने दें।
इसके अतिरिक्त बाजार में मच्छर भगाने वाली कई क्रीम उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग करने की सलाह चिकित्सक भी देते हैं। इन क्रीमों को घर से बाहर निकलते समय बच्चों पर जरूर लगाएं। हालांकि, इन्हें दिन में 2-3 बार से अधिक नहीं लगाना चाहिए।
साथ ही उन्हें पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं।
आंकड़ा
दुनिया की आधी आबादी पर डेंगू का खतरा
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, दुनिया की लगभग आधी आबादी ऐसे इलाकों में रहती हैं, जहां डेंगू का अधिक खतरा है।
WHO का अनुमान है कि हर साल औसतन लगभग 40 करोड़ लोग डेंगू की चपेट में आते हैं।
डेंगू फैलाने वाले मच्छर समुद्र तल से 2,000 मीटर से कम की ऊंचाई वाले इलाकों में रहते हैं और इन्हें जनन करने के लिए 16 डिग्री से अधिक तापमान की जरूरत होती है।