सनबर्न बनाम सन पॉइजनिंग में क्या है अंतर और यह कैसे प्रभावित करते हैं?
सनबर्न और सन पॉइजनिंग दोनों ही सूरज की रोशनी के अधिक संपर्क में रहने से होने वाली समस्याएं है, लेकिन इनमें काफी अंतर है। सनबर्न से त्वचा पर लालिमा, जलन और दर्द होता है, लेकिन यह घरेलू नुस्खों से ठीक हो सकता है। सन पॉइजनिंग एक गंभीर स्थिति है और इसके लिए डॉक्टरी इलाज की जरूरत पड़ती है। आइए आज हम आपको सनबर्न और सन पॉइजनिंग के बीच का अंतर और इनसे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
सनबर्न क्या है?
सनबर्न में त्वचा की बाहरी परत को नुकसान पहुंचता है। इसके होने की संभावना तब अधिक होती है जब आपकी त्वचा लंबे समय तक सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों के संपर्क में रहती है। इसकी वजह से त्वचा पर जगह-जगह लाल चकत्ते पड़ सकते हैं और जलन या खुजली की समस्या हो सकती है। हालांकि, यह समस्या लगभग एक हफ्ते में ठीक हो जाती है।
सन पॉइजनिंग से क्या समझते हैं आप?
सन पॉइजनिंग एक गंभीर सनबर्न की स्थिति है। इससे त्वचा पर फफोले, उनके छिलने और चक्कर आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। नतीजतन, सन पॉइजनिंग को अत्यधिक UV जोखिम के लिए एलर्जी की प्रतिक्रिया माना जा सकता है। इस समस्या को ठीक होने में कई हफ्ते लग सकते हैं और इसके लिए डॉक्टरी सलाह अनुसार क्रीम या दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ सकता है।
सनबर्न और सन पॉइजनिंग में अंतर
सनबर्न कम समय के लिए सूरज के संपर्क में आने से त्वचा पर होने वाली जलन या लालिमा का कारण बनता है, जबकि सन पॉइजनिंग त्वचा की एलर्जी प्रतिक्रियाएं हैं जो लंबे समय तक सूरज के संपर्क में रहने के कारण गंभीर होती हैं। लालिमा, सूजन, खुजली और जलन होना सनबर्न के मुख्य लक्षण हैं। सन पॉइजनिंग होने पर खुजलीदार लाल दाने, त्वचा का छिलना, सिरदर्द या चक्कर आना, मतली और मांसपेशियों में दर्द आदि समस्याएं हो सकती हैं।
सनबर्न और सन पॉइजनिंग से कैसे बचें?
जितना हो सके धूप से दूर रहें। बाहर जाते समय सुरक्षात्मक कपड़े जैसे टोपी और लंबी बाजू के कपड़े पहनें। बाहर जाने से 15 से 30 मिनट पहले त्वचा पर SPF वाला सनस्क्रीन लगाएं और फिर हर दो घंटे में दोबारा इसका इस्तेमाल करें। कुछ दवाएं आपकी त्वचा को धूप के प्रति संवेदनशील बना सकती हैं। इसका ध्यान रखें। इसी तरह खूब पानी पिएं, शिशुओं को सीधी धूप से दूर रखें और टैनिंग बेड का इस्तेमाल न करें।