COPD क्या है और यह अस्थमा से कैसे अलग है? जानिए इसके लक्षण और इलाज
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) सांस से जुड़ी एक बीमारी है। आमतौर पर जब हम सांस लेते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकल जाती है और ऑक्सीजन शरीर में प्रवेश करती है, लेकिन COPD रोगियों में कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर नहीं निकल पाती है। ऐसी स्थिति में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, यह अस्थमा से भिन्न है। आइए आज हम आपको इस बीमारी के लक्षण, कारण और अन्य महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
अस्थमा और COPD में क्या अंतर?
COPD और अस्थमा के बीच कई अंतर हैं, लेकिन COPD एक तरह से अस्थमा का गंभीर स्तर है। अस्थमा में सांस की नलियों में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से फेफड़ों तक ऑक्सीजन ठीक प्रकार से नहीं पहुंच पाती है। COPD में बलगम और सांस की सिकुड़ी नलियां सांस लेने में परेशानी उत्पन्न करती हैं। इसका मुख्य कारण धूम्रपान को माना जाता है। ये दोनों ही बीमारियां किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती हैं।
COPD के प्रकार
1) क्रोनिक ब्रोंकाइटिस: यह तब होता है जब वायु मार्ग में सूजन और सिकुड़न आ जाती है, जिससे उसमें हवा का प्रवाह कम हो जाता है। इससे अतिरिक्त बलगम भी सांस लेने में कठिनाई पैदा करता है। 2) एम्फाइजिमा (वातस्फीति): वातस्फीति तब होती है जब फेफड़ों में वायु की थैली क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसके कारण फेफड़ों के अंदर और बाहर ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड ले जाने की क्षमता खराब हो जाती है।
इन कारणों से हो सकती है COPD
1) लंबे समय तक सिगरेट के धुएं, धूल, रसायन और वायु प्रदूषण जैसे हानिकारक उत्तेजक पदार्थों के संपर्क में रहने से फेफड़े और वायुमार्ग को नुकसान होता है, जिससे COPD हो सकती है। 2) इनडोर और आउटडोर वायु प्रदूषक जैसे स्मॉग, फफूंदी, धूल के कण, एस्बेस्टस, लकड़ी का धुआं आदि के संपर्क में रहना। 3) गंभीर श्वसन संक्रमण 4) अस्थमा 5) अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी (एक दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति) भी COPD का जोखिम कारण बन सकती है।
COPD के सामान्य और गंभीर लक्षण
COPD के सामान्य लक्षण: सांस की तकलीफ, बलगम के साथ या बिना बलगम के खांसी, रुक-रुक कर घरघराहट होना, बार-बार श्वसन संक्रमण होना, थकान, गहरी सांस लेने में परेशानी होना और सीने में जकड़न। COPD के गंभीर लक्षण: कपड़े पहनने जैसी रोजमर्रा की गतिविधियों में बार-बार सांस फूलना, तेज खांसी, बलगम उत्पादन में वृद्धि, बलगम का रंग पारदर्शी से पीला, हरा या भूरा होना, अधिक थकावट रहना, नींद न आना और सुबह के समय सिरदर्द होना।
COPD का कैसे पता लगाया जा सकता है?
आपको COPD है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना होगा। वह आपसे आपका पारिवारिक चिकित्सा इतिहास पूछ सकते हैं और जांच के दौरान स्टेथोस्कोप की मदद से आपकी सांस की स्थिति का पता लगा सकते हैं। इसके अतिरिक्त डॉक्टर आपको स्पिरोमेट्री टेस्ट, 6 मिनट की वॉक टेस्ट, पूर्ण रक्त गणना (CBC), अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी का टेस्ट और कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) स्कैन आदि कराने की सलाह भी दे सकते हैं।
COPD का इलाज
COPD के इलाज में वायु प्रवाह में सुधार करना, रोग की प्रगति को रोकना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना शामिल है। स्थिति की गंभीरता के आधार पर इस बीमारी का इलाज अलग-अलग हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसमें जीवनशैली में सुधार करना, दवाएं और ऑक्सीजन थेरेपी देना होता है। गंभीर COPD वाले लोगों के लिए सर्जरी का भी विकल्प है।
COPD से बचाव के तरीके
स्वस्थ जीवनशैली चुनना COPD से बचाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके लिए धूम्रपान से दूरी बनाएं, हानिकारक पर्यावरणीय कारकों जैसे वायु प्रदूषण से सुरक्षित रहने की कोशिश करें, रोजाना एक्सरसाइज करें और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इसके अलावा इन्फ्लुएंजा और न्यूमोकोकल वायरस की वैक्सीन जरूर लगवाएं। जिन लोगों को श्वसन संबंधी संक्रमण हो, उनके संपर्क में आने से बचें। इन तरीकों को अपनाकर आप काफी हद तक COPD से सुरक्षित रह सकते हैं।